इस बार सबसे ऊपर होगा जीएसटी का मुद्दा। उम्मीद है सरकार सबसे पहले जीएसटी बिल को हो पास कराने के लिए सदन के पटल पर रखेगी। पिछले मानसून सत्र से ही ये बिल अधर में लटका हुआ है और इसे सदन में मंजूरी नहीं मिल पायी है। सरकार विपक्ष पर आरोप लगाती रही है जबकि विपक्ष का कहना है कि सरकार की नियत बिल को पास कराने की है ही नहीं।

अगर आप नहीं जानते की क्यों सरकार के लिए जरूरी है इस बल को पास कराना तो समझ लें एक तो ये सत्ता पक्ष के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है दूसरे सरकार इसे पास करा कर घरेलू और विदेशी निवेशकों तक एक सकारात्मक संदेश पहुंचाना चाहती है कि वे अर्थ व्यवस्था को गति देने के पूरे प्रयास कर रही है।

जीएसटी बिल स्वीकृति के बाद सभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों का स्थान ले लेगा। इससे सभी राज्यों में कर ढ़ाचा लगभग एक समान हो जायेगा।

सरकार ने मानसून सत्र से पहले अपने लिए सकारात्मक रुख बनाने के लिए एक सर्वदलीय बैठक का भी आयोजन किया। जिसमें लगभग सभी दलों के वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया।

इस मानसून में सरकार पिछले सत्र की तुलना में ज्यादा आत्मविश्वास से भरी नजर आयेगी क्योंकि अब तक राज्यसभा में उनका पक्ष थोड़ा कमजोर था पर अब नये सदस्यों के आने से उसकी स्थिति बेहतर हो चुकी है।

कई पेंडिंग बिलों पर सरकार चर्चा कराना चाहती है। इस समय संसद में करीब 56 बिल पेंडिंग हैं।

आइए जानें संसद के मानसून सत्र के बारे में 10 बातें जो आपको नहीं पता

  • पेंडिंग बिलों में लोकसभा में करीब 11 बिल और राज्यसभा में लगभग 45 बिल पेंडिंग हैं। लोकसभा में पेंडिंग बिलों को स्टैंडिंग समिति के पास भेजा गया है।

    इस सत्र के दौरान संसद में अरुणाचल का मुद्दा भी उठेगा। सर्वोच्च न्यायलय के अरुणाचल पर दिये फैसले से विपक्ष के हौंसले बुलंद है। इसके अलावा हाल में ही प्रदेश में कांग्रेस शासित सरकार ने कार्यभार संभाला है और इसी वजह से समान नागरिक संहिता लागू करने के मामले पर मोदी सरकार के विधि आयोग से रिर्पोट मांगने के चलते माहौल गर्माया रहेगा।   

    इस समय संसद में चार वकील कपिल सिब्बल, राम जेठमलानी, रविशंकर प्रसाद और अरुण जेटली राज्यसभा के सदस्य हैं और मजेदार बात ये है कि चारों ही पूर्व कानून मंत्री रह चुके हैं।  

    इस मानसून सत्र में संसद में विपक्ष के तेवर कुछ हट कर नजर आने की संभावना है, क्योंकि जहां पांच राज्यों में चुनाव जीत कर सत्ता पक्ष जोश में है वहीं उत्तर प्रदेश के आगामी चुनाव को लेकर कांग्रेस सहित विपक्ष के तमाम बड़े दल अपने होश कायम रखने की कोशिश करेंगे।

 

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