भारतीय महिला रसायनशास्त्री :

डॉ. आसिमा चटर्जी का जन्म 23 सितंबर 1917 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुआ था। वह भारत की जानी-मानी रसायनशास्त्री थीं। उन्होंने जैव रसायन विज्ञान और फाइटोमेडिसिन के क्षेत्र में काफी काम किया। आज हम मलेरिया और मिरगी जैसे रोगों से आसानी से निजात पा लेते हैं। इसका श्रेय आसिमा चटर्जी को जाता है। उन्होंने इसके लिए कई साल मेहनत की। आखिर में उन्हें वो फॉर्मूला मिल ही गया, जिसक बदौलत मिरगी व मलेरिया से लड़ा जा सके।

कैंसर की खोजी दवाई :

डॉ. आसिमा का सबसे बड़ा योगदान कैंसर के दवाई बनाने में रहा। उन्होंने विंसा एल्केलॉयड्स की खोज की जिसे मॉर्डन कीमोथेरेपी में इस्तेमाल किया जाता है। कैंसर के इलाज में कीमोथेरेपी काफी उपयोगी साबित होती है। कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट लेने के बाद पेशेंट को कैंसर से निजात मिल जाती है। आसिमा द्वारा खोजे गए विंसा एल्केलॉयड्स शरीर में कैंसर सेल्स को फैलने से रोकता है।

जिन्‍होंने कैंसर का इलाज खोजा,जानें साइंटिस्‍ट डॉ. आसिमा चटर्जी की 5 बातें

साइंस में डॉक्टरेट पाने वाली पहली महिला :

आसिमा चटर्जी को रसायन विज्ञान से काफी लगाव था। उन्होंने पूरा जीवन रिसर्च में बीता दिया। डॉ. असिमा ने भारतीय उपमहाद्वीप के औषधीय पौधों पर काफी मात्रा में काम किया। साइंस में डॉक्टरेट पाने वाली वह पहली भारतीय महिला थीं।

भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी की फेलो :

साल 1940 में डॉ. असिमा को कलकत्ता विश्वविद्यालय के लेडी ब्रेबॉर्न कॉलेज में संस्थापक प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया। बाद में सन 1960 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी नई दिल्ली का फेलो चुना गया। आसिमा चटर्जी के करीब 400 पेपर्स नेशनल और इंटरनेशनल जनरल में प्रकाशित हुए।

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राज्यसभा सदस्य भी रहीं :

1982 से 1990 तक उन्हें राज्यसभा सदस्य के रूप में भारत के राष्ट्रपति द्वारा नामित किया गया था। यही नहीं उन्हें पद्म भूषण अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।

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