कर डाला अंसभव काम 
नैन सिंह रावत 19वीं शताब्दी के उन भ्रमणकर्ताओं में से थे जिन्होने अंग्रेजों के लिये हिमालय के क्षेत्रों की खोजबीन की। उन्होंने अपने भाई के साथ सिर्फ रस्सी, थर्मामीटर और कंपस लेकर पूरा तिब्बत नाप दिया था। नैन सिंह कुमायु घाटी के रहने वाले थे। उन्होने नेपाल से होते हुए तिब्बत तक के व्यापारिक मार्ग का की मैपिंग की थी। नैन सिंह  ने ही सबसे पहले ल्हासा की स्थिति तथा ऊंचाई का पता किया और तिब्बत से बहने वाली मुख्य नदी त्सांगपो के बहुत बड़े भाग की मैंपिंग भी की थी।
दिवाली पर हर साल सीमा पर पहुंच जाते हैं पीएम मोदी, पिछले 3 सालों में यहां-यहां मनाई दिवाली

गुगल ने बनाया डूडल
19वीं शताब्दी में जब अंग्रेज भारत का नक्शा तैयार कर रहे थे उस समय उन्हें तिब्बत का नक्शा बनाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा। आखीर में उन्होंने किसी भारतीय नागरिक को ही वहां भेज कर ये मुश्किल कार्य कराने का फैसला किया। ये भारतीय थे नैन सिंह जिन्होंने बिना किसी आधुनिक उपकरण की मदद के ये असंभव दिखने वाला काम कर दिखाया। उनके इस काम से अंग्रेज भी बेहद प्रभावित हुए और उन्हें बेहद सम्मान की नजर से देखने लगे। उनके जन्म की 187 वीं वर्षगांठ पर इस साल गूगल ने उनके इसी मुश्किल काम को सम्मान देते हुए अपना डूडल उन्हें डेडिकेट किया है। उन्होंने ही लहासा की समुद्र तल से ऊंचाई नापी थी, साथ ही बताया कि अक्षांश और देशांतर क्या हैं। उन्होंने करीब 800 किमी की पैदल यात्रा की और ये भी खोज की, कि ब्रह्मापुत्र और स्वांग एक ही नदी हैं।
तस्वीरों में देखें अयोध्या में त्रेतायुग की दिवाली

भारत और तिब्बत के बीच व्यापार ने बढ़ाया क्षेत्र से प्यार
आर्थिक तंगी के चलते पढ़ाई छोड़ कर व्यापार से जुड़े नैन सिंह को भारत और तिब्बत के बीच व्यापार के दौरान इस क्षेत्र से बेहद प्यार हो गया था। इसके बाद उन्होंने तिब्बती तिब्बती भाषा ही नहीं सीखी बल्कि उस इलाके को भी समझा और उसे अंदर समाहित कर लिया। उनको हिन्दी और तिब्बती के अलावा फारसी और अंग्रेजी की भी अच्छी नॉलेज थी। उन्होंने अपनी खोज, रिसर्च और मैपिंग की स्केचिंग अपनी यात्राओं की डायरियों में की थी। नैन सिंह ने अपनी जिंदगी का अधिकतर समय खोज और मानचित्र तैयार करने में बिताया। 
Birthday special: भारतीय खगोलशास्त्री जिन्होंने कहा था भगवान इंसान की सबसे बड़ी खोज
कर डाला अंसभव काम 

 

नैन सिंह रावत 19वीं शताब्दी के उन भ्रमणकर्ताओं में से थे जिन्होने अंग्रेजों के लिये हिमालय के क्षेत्रों की खोजबीन की। उन्होंने अपने भाई के साथ सिर्फ रस्सी, थर्मामीटर और कंपस लेकर पूरा तिब्बत नाप दिया था। नैन सिंह कुमायु घाटी के रहने वाले थे। उन्होने नेपाल से होते हुए तिब्बत तक के व्यापारिक मार्ग का की मैपिंग की थी। नैन सिंह  ने ही सबसे पहले ल्हासा की स्थिति तथा ऊंचाई का पता किया और तिब्बत से बहने वाली मुख्य नदी त्सांगपो के बहुत बड़े भाग की मैंपिंग भी की थी।

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नैन सिंह रावत,जिन्‍होंने एक रस्‍सी,थर्मामीटर और कंपास से नाप दिया तिब्‍बत का पठार
गुगल ने बनाया डूडल

19वीं शताब्दी में जब अंग्रेज भारत का नक्शा तैयार कर रहे थे उस समय उन्हें तिब्बत का नक्शा बनाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा। आखीर में उन्होंने किसी भारतीय नागरिक को ही वहां भेज कर ये मुश्किल कार्य कराने का फैसला किया। ये भारतीय थे नैन सिंह जिन्होंने बिना किसी आधुनिक उपकरण की मदद के ये असंभव दिखने वाला काम कर दिखाया। उनके इस काम से अंग्रेज भी बेहद प्रभावित हुए और उन्हें बेहद सम्मान की नजर से देखने लगे। उनके जन्म की 187 वीं वर्षगांठ पर इस साल गूगल ने उनके इसी मुश्किल काम को सम्मान देते हुए अपना डूडल उन्हें डेडिकेट किया है। उन्होंने ही लहासा की समुद्र तल से ऊंचाई नापी थी, साथ ही बताया कि अक्षांश और देशांतर क्या हैं। उन्होंने करीब 800 किमी की पैदल यात्रा की और ये भी खोज की, कि ब्रह्मापुत्र और स्वांग एक ही नदी हैं।

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आर्थिक तंगी के चलते पढ़ाई छोड़ कर व्यापार से जुड़े नैन सिंह को भारत और तिब्बत के बीच व्यापार के दौरान इस क्षेत्र से बेहद प्यार हो गया था। इसके बाद उन्होंने तिब्बती तिब्बती भाषा ही नहीं सीखी बल्कि उस इलाके को भी समझा और उसे अंदर समाहित कर लिया। उनको हिन्दी और तिब्बती के अलावा फारसी और अंग्रेजी की भी अच्छी नॉलेज थी। उन्होंने अपनी खोज, रिसर्च और मैपिंग की स्केचिंग अपनी यात्राओं की डायरियों में की थी। नैन सिंह ने अपनी जिंदगी का अधिकतर समय खोज और मानचित्र तैयार करने में बिताया। 

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