मानव सिर काटने से बढ़ती है जमीन की पैदावार

भारतीय भाषा संस्थान की वेबसाइट के मुताबिक वांग्चो जनजाति मंगोलिया से विस्थापित होकर आए थे। मंगोलिया से चीन बर्मा होते हुए वे अरुणाचल प्रदेश के लोंगडिंग जिले तक पहुंचे। अरुणाचल प्रदेश के अलावा कुछ संख्या में वांग्चो जनजाति नागालैंड और बर्मा में भी रहती है। वांग्चो समुदाय अरुणाचल में हेड हंटिंग वार के लिए जाना जाता है। वांग्चो समुदाय का मानना है कि मानव सिर कलम करने से जमीन की पैदावार बढ़ती है। ऐसा माना जाता है कि वांग्चो समुदाय शिकारियों को पकड़ती थी और मुआवजा न देने पर उनका सिर काट देती थी। दो गांवों के लोगों के बीच जब भी युद्ध होता था तो ये समुदाय दुश्मन का सिर काट देता था। वांग्चो समुदाय की भी आपस में भिड़ंत होती थी।

उबले पानी से तैयार लेप में रखी जाते थे कटे सिर

वांग्चो समुदाय कटे हुए सिर को अपने गांव लाता था। यहां पानी में उबालकर मांस को अलग किया जाता था और मानव सिर रखने के लिए विशेष तौर पर तैयार किए गए घर में इसे संरक्षित कर रखा जाता था। बाद में इसे दफना दिया जाता था। कटे सिर गांव लाने के पांच दिन बाद एक जश्न होता था। इस जश्न में लड़ाई में हिस्सा लेने वाले वीरों के शरीर पर गुदना गोदा जाता था। इन जश्न को गनटंग कहा जाता था।जश्न में सभी लोग चावल से बनी बीयर पीते थी और एक जगह सुरक्षित रखे मानव खोपड़ी को भी प्रतिकात्मक रूप से बीयर दी जाती थी। अब इस प्रथा पर प्रतिबंध लग गया है।

मानव संग्रहालय में मिलेगा भारत का इतिहास

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में मानव संस्कृति के इतिहास को दिखाया गया है। यहां विभिन्न राज्यों की जनजातियों की संस्कृति को भी दर्शाया गया है। अलग-अलग प्रदेशों में बनने वाले अलग-अलग तरीके के घरों की प्रतिकृति भी यहां बनाई गई है। पिछले दिनों यहां वांग्जो जनजाति के घर का निर्माण का शुरू हुआ है। वांब्जो समुदाय के इस घर की लागत करीब 15 लाख रुपए आएगी।

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