यहां से आए नजर में
स्कूल के दिनों में अरुण गोविल नाटकों में मंचन करने में सबसे आगे थे। इसके बावजूद उन्होंने एक्टिंग को अपना कॅरियर बनाने के बारे में कभी नहीं सोचा। हां, हालांकि मेरठ से वह मुंबई आए अपना कॅरियर बनाने। यहां आपको जानना जरूरी होगा कि मुंबई आए थे वो अपने बिजनेसमैन भाई के साथ कुछ काम सीखने और उनका हाथ बंटाने, लेकिन एक्टिंग की दुनिया शायद इनको बराबर खींच रही थी।

आए तो थे बिजनेसमैन बनने, लेकिन...
जल्द ही इनको इस बात का अहसास हुआ कि वह बिजनेस या कोई ऐसा काम करने के लिए नहीं बने हैं। फाइनली ये पहुंच गए एक्टिंग की दुनिया में। ये वक्त था 1977 का, जब इन्होंने फिल्म 'पहेली' से अपने इस कॅरियर की शुरुआत कर दी थी। इसके बाद इनकी मुलाकात हुई रामानंद सागर से। इन्होंने अपने धारावाहिक 'विक्रम और बेताल' में इनको राजा विक्रमादित्य का लीड रोल प्ले करने को दिया।

जानिए,कैसे रामानंद सागर की रामायण के राम बने अरुण गोविल

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रामानंद सागर ने ऐसे चुना इन्हें
इसके बाद रामानंद सागर ने विचार बनाया रामायण को पर्दे पर उतारने का। अब उनको फिर याद आया चेहरा अरुण गोविल का। यहां उन्होंने इन्हें दिया मौका भगवान राम के किरदार को निभाने का। हां, हालांकि इस किरदार को पर्दे पर जीवंत करने के लिए अरुण को काफी मेहनत भी करनी पड़ी। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 1986 से 1988 तक इन्हें अपने किरदार की सजीवता को बरकरार रखने के लिए बड़ी-बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। यहां इनके लिए सबसे बड़ी चुनौती थी सालों से पड़ी धूम्रपान की आदत को छोड़ने की। इसके बावजूद इन्होंने हर चुनौती का सामना किया और हमेशा-हमेशा के लिए बना ली अपनी छवि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की दर्शकों के दिलों में।

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इतने काम के बावजूद नहीं टूटी रामायण वाली छवि
इसके बाद इन्होंने 'लव कुश', 'कैसे कहूं', 'बसेरा', 'मशाल', 'बुद्ध', 'अपराजिता', 'अंतराल' और 'कारावास' जैसे कई अनेक धारावाहिकों में काम किया। इसके बावजूद ये भगवान राम के अपने किरदार की सजीवता को खुद से दूर नहीं कर सके। इसको लेकर खुद इनका कहना है कि उसके बाद एक तरह से वह अपने अभिनेता धर्म का निर्वाह नहीं कर सके। उसका नतीजा ये हुआ कि इनका एक्टिंग कॅरियर लगभग खत्म ही हो गया।

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9-10 साल के लिए छोड़ दी एक्टिंग
उसका खामियाजा उठाते हुए अरुण ने 9-10 साल के लिए खुद को एक्टिंग से दूर कर लिया। न किसी सीरियल में वो नजर आए, न फिल्म में। अब वह सिर्फ प्रोडक्शन कर रहे हैं। इस बारे में अरुण बताते हैं कि उन्होंने खुद की एक टीवी कंपनी शुरू की। ये कंपनी अब कार्यक्रम बनाती है। ये कार्यक्रम खासतौर पर दूरदर्शन के लिए होते हैं।

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