बेशक चेतेश्वर पुजारा को प्रोत्साहित करने में उनकी मां का हाथ था पर उनकी प्रतिभा को महज दो साल की उम्र में ही उनके पिता ने पहचाना था। उस उम्र की एक तस्वीर में पुजारा हवा में आती गेंद पर पूरी तन्मयता से आंखे गड़ाये दिखाई दे रहे हैं।

अपने शुरूआती दौर में पुजारा गेंदबाजी भी करते थे और उनका लक्ष्य एक बेहतरीन ऑलराउंडर बनने का था।

12 साल की उम्र में स्वराष्ट्र की टीम से खेलते हुए एक अंडर 14 मैच में उन्होंने बड़ौदा के खिलाफ 306 रन बनाने का कमाल किया था।
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क्रिकेटर नहीं पायलट बनना चाहते थे पुजारा,स्‍कूल में थे क्‍लास मॉनीटर

अपने छोटे से करियर में पुजारा छह तिहरे शतक बना चुके हैं।

पुजारा का बैटिंग एवरेज विश्व के लिस्टर क्रिकेटर्स में सिर्फ माइकल बेवन से कम है। जहां बेवन का औसत 57.86 का है वहीं पुजारा का औसत 54.01 का है। उनके सबसे तेज टैस्ट मैच में 1000 रन बनाने का रिकॉर्ड भी है।

एक बार एक साक्षात्कार के दौरान पुजारा ने कहा था कि वे हवाई जहाज पायलट बनना चाहते ना कि क्रिकेटर।
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क्रिकेटर नहीं पायलट बनना चाहते थे पुजारा,स्‍कूल में थे क्‍लास मॉनीटर

बचपन से लेकर किशोरावस्था तक चेतेश्वर बेहद गोरे थे। उनके फेयरकांप्लेक्शन के चलते स्कूल में साथी उन्हें अलग नामों से चिढ़ाते थे।

चेतेश्वर ना सिर्फ खेल में शानदार हैं बल्कि वे पढ़ाई में भी टॉपर रहे हैं। वे हर परीक्षा में क्लास के टॉप थ्री स्टूडेंटस में शामिल रहे हैं। इतना ही नहीं वे क्लास के मॉनीटर भी थे।

पुजारा देखने में बेहद शर्मीले और खामोश शख्स लगते हैं लेकिन वास्तव में वो इसके बेहद उल्टे रहे हैं। वे हमेशा हर कार्यक्रम, क्लास और ग्रुप में लीडर की तरह पेश आते हैं।
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क्रिकेटर नहीं पायलट बनना चाहते थे पुजारा,स्‍कूल में थे क्‍लास मॉनीटर

सातवीं क्लास में जब स्कूल की क्रिकेट टीम ना होने के कारण उन्हें अपना पुराना स्कूल बदलना पड़ा तो वे बेहद दुखी हुए थे। वो दुख देश के लिए खेलने का मौका मिलने के बाद अब कम हो गया है।

 

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