पहली उड़ान भरी
टाटा एयरलाइंस की नींव 1932 में मशहूर उद्योगपति जेआरडी टाटा ने रखी थी। इस एयरलाइंस ने पहली उड़ान 15 अक्टूबर को 1932 को भरी थी। जिसमें सिंगल इंजन वाले 'हैवीलैंड पस मोथ' के जरिए इसके जहाज ने कराची के ड्रिग रोड एयरोड्रॉम से मुंबई जुहू एयरस्ट्रिप तक सफर किया था।
चिट्ठियों का सफर
इस एयरलाइंस की पहली उड़ान की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि उस समय जहाज में कोई सवारी नहीं, बल्िक 25 किलो चिठ्ठियां रखी गई थीं। यह लेटर्स लंदन से 'इंपीरियल एयरवेज' के जरिए कराची लाए गए थे, जिसे बाद में टाटा एयरलाइंस के जहाज से भारत लाया गया था।
लेटर्स से मुनाफा
शुरुआत में टाटा एयरलाइंस सिर्फ चिठ्ठी यानी कि एयरमेल से कमीशन कमाने की कोशिश की क्योंकि उस समय एयरलाइंस को ब्रिटिश सरकार से कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती थी। पहले साल इस एयरलाइंस ने 10.71 टन चिट्ठियां डिलीवर कर करीब 60 हजार रुपये का मुनाफा कमाया था।
लिमिटेड स्टाफ
टाटा एयरलाइंस के पास शुरू में जहाजों और स्टाफ की संख्या लिमिटेड थी। उस समय इस एयरलाइंस में दो छोटे सिंगल इंजन वाले जहाज थे। जिन्हें उड़ाने के लिए दो पायलट और तीन मैकेनिक ही थे। बावजूद इसके पहले साल इनके जहाजों ने करीब 160, 000 मील तक की उड़ान भरी थी।
विश्व युद्ध में
पहले साल इस एयरलांइस से करीब 155 यात्रियों ने सफर किया। जेआरडी टाटा की मेहनत से धीरे-धीरे इसका बिजनेस बढ़ने लगा। इतना ही नहीं द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान टाटा एयरलाइंस के विमानों ने सामान ले जाने से लेकर शरणार्थियों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई थी।
एयर इंडिया बनी
इस पर उस सरकार ने टाटा एयरलाइंस की काफी सराहना की। इतना ही नहीं भारत सरकार ने टाटा एयरलाइंस का अधिग्रहण करने का ऐलान किया। 29 जुलाई, 1946 को यह एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन गई और फिर इसका नाम टाटा एयरलांइस से एयर इंडिया रख दिया गया।
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