नंबर एक: कोलकाता में जन्मे मन्ना डे का ओरिजनल नाम प्रबोद्ध चंद्र डे था।

नंबर दो: मन्ना डे को भारत सरकार ने 1971 में पद्म श्री, 2005 में पद्म भूषण और 2007 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया है।

नंबर तीन: मन्ना डे ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा अपने चाचा कृष्ण चंद्र डे से ली थी। उनको गायक बनना चाहिए ये बादसबसे पहले उस्ताद बादल खां ने उनको बतायी थी।
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नंबर चार: कॉलेज के दिनों मन्ना दा कुश्ती और मुक्केबाजी जैसी प्रतियोगिताओं में खूब भाग लेते थे। जबकि उनके पिता उन्हें वकील बनाना चाहते थे।

नंबर पांच: कुश्ती के साथ मन्ना डे एक बंगाली होने के नाते फुटबॉल के भी काफी शौकीन थे और काफी अर्से तक फुटबॉल खेले भी हैं।

नंबर छह: संगीत के क्षेत्र में आने से पहले इस बात को लेकर लम्बे समय तक दुविधा में रहे कि वे वकील बनें या गायक। आखिरकार अपने चाचा कृष्ण चन्द्र डे से प्रभावित होकर उन्होंने तय किया कि वे गायक ही बनेंगे।
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नंबर सात: मन्ना डे अपने करियर की शुरूआत बांग्ला फिल्मों में गायन से की और बॉलीवुड में उन्हें पहला मौका 1943 में फिल्म तमन्ना मे बतौर प्लेबैक सिंगर उन्हें सुरैया के साथ गाने का मौका मिला।

नंबर आठ: हालाकि सुरैया के साथ डुएट गाने के पहले वह फिल्म रामराज्य में कोरस के रूप में गा चुके थे। दिलचस्प बात है कि यही एक एकमात्र फिल्म थी, जिसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने देखा था।

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नंबर नौ: ये तो सभी जानते हैं कि संगीत के लिए खास तौर पर उसके शास्त्रीय पहलू के लिए उनके मन में एक भक्ति भावना थी, लेकिन ये बात कम लोगों को पता है कि वो फिल्म की खातिर भी इससे समझौता करने को तैयार नहीं होते थे। यही नहीं इसकी खातिर उन्होंने 1968 में रिलीज हुई फिल्म पड़ोसन के सुपरहिट गाने "इक चतुर नार बड़ी होशियार" तक को गाने से इंकार कर दिया था और किशोर कुमार से झगड़ा भी कर लिया।

 


जब इस गीत की रिकॉर्डिग हो रही थी तो किशोर कुमार और मन्ना डे के बीच इस बात को लेकर खींचतान हो गयी। निर्माता ने कहा कि इसे वैसा ही गाना है जैसा गीतकार राजेन्द्र कृष्ण ने लिखा है। किशोर कुमार तो गाने के लिये तैयार हो गये परन्तु मन्ना डे ने गाने से मना कर दिया। वे अड़ गये और कहा "मैं ऐसा हरगिज नहीं करूँगा। मैं संगीत के साथ मजाक नहीं कर सकता।" किसी तरह वे राजी हुए और गीत की रिकॉर्डिग शुरू हुई, लेकिन उन्होंने सारा गाना क्लासिकी अन्दाज़ में ही गाया। जब किशोर कुमार ने गलत अंदाज वाला नोटेशन गाया, तो मन्ना चुप हो गये और कहा  "यह क्या है? यह कौन सा राग है?" इस पर हास्य अभिनेता महमूद ने उन्हें समझाया "सर! सीन में कुछ ऐसा ही करना है, इसलिये किशोर दा ने ऐसे गाया।" मगर मन्ना दा इसके लिये तैयार नहीं हुए। किसी तरह उन्होंने अपने हिस्से का गीत पूरा किया लेकिन वह सब नहीं गाया जो उन्हें पसन्द नहीं था।
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नंबर दस: मन्ना डे ने बांग्ला और हिंदी के अलावा कई और भाषाओं जैसे भोजपुरी, मगधी, मैथली, पंजाबी, असमी, उड़िया, कोंकणीं, सिंधी, गुजराती, मराठी, कन्नड़, मलयालम और नेपाली लैंग्वेजेस में भी गीत गाये हैं।

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