47 लाख रुपये का जुर्माना भी लगा
चीफ जस्टिस एवं सेशन जस्टिस मोहम्मद अली ने मामले में दस अभियुक्तों को दोषी करार दिया. मामले के मुख्य अभियुक्त और स्कूल के संस्थापक पलानीसामी को उम्र कैद और 47 लाख रुपये के जुर्माने के अलावा 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई. अदालत ने कहा कि दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी. पलानीसामी की पत्नी और स्कूल की एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर सरस्वती, प्रिंसिपल शांतालक्ष्मी, मिड डे मिल ऑर्गनाइजर विजयलक्ष्मी और कुक वसंती को पांच-पांच साल के सश्रम कारावास और संयुक्त रूप से 3.75 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई. अदालत ने शिक्षा विभाग के पांच में से चार अधिकारियों को पांच-पांच साल कैद और दस-दस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई. एक अधिकारी को दो साल कैद और 40 हजार रुपये जुर्माने की सजा हुई. अदालत ने आदेश दिया कि जुर्माने से जुटाई गई रकम में से 50-50 हजार रुपये की राशि सभी 94 मृतक बच्चों के अभिभावकों को, 25-25 हजार रुपये की राशि गंभीर रूप से घायलों को और 10 हजार रुपये सामान्य घायलों को दिए जाएंगे.

बच्चों के माता-पिता फैसले से निराश
16 जुलाई 2004 को विद्यालय में मध्याह्न भोजन बनाने वाली अस्थायी रसोई से फैली आग पहली मंजिल पर फूस की छत तक फैल गई, जिसमें 94 बच्चों की मौत हो गई और 18 अन्य झुलस गए. दिल दहलाने वाली यह घटना कासीरमण गली स्थित एक छोटी सी इमारत में श्रीकृष्णा एडेड प्राइवेट स्कूल, सरस्वती नर्सरी एंड प्राइमरी स्कूल और श्री कृष्ण गल्र्स हाई स्कूल में हुई थी. इस घटना से सुरक्षा नियमों को लेकर अधिकारियों की लापरवाही पर भी सवाल उठे थे. इन विद्यालयों में करीब 700 छात्र पढ़ रहे थे. मृत बच्चों के परिवार फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. मामले में ज्यादातर सरकारी अधिकारियों को बरी करने के अदालत के फैसले ने अभिभावकों को निराश किया है.

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