यूनेस्को की लिस्ट में शामिल हुआ कुंभ तो संत-महात्मा तैयारी में जुटे
हाईटेक तरीके से विदेशी फालोवर को किया जाएगा आमंत्रित
ALLAHABAD: संगम की रेती पर भले ही एक वर्ष के बाद कुंभ का आयोजन होगा, लेकिन उसका रिहर्सल माघ मेला में दिखाया जा रहा है। शासन के निर्देश पर अभी से रिहर्सल जैसी तैयारियां की जा रही हैं तो यूनेस्को की ओर से कुंभ मेला को सांस्कृतिक विरासत की लिस्ट में शामिल किए जाने के बाद नजारा बदला बदला नजर आने लगा है। मेला प्रशासन के अलावा संत-महात्माओं ने भी कुंभ की ब्रांडिंग का फैसला किया है। ब्रांडिंग के जरिए न केवल विदेशी फालोवर की संख्या बढ़ाने की तैयारी की गई है बल्कि वेबसाइट और फेसबुक पेज से भी उन्हें जोड़ने की कवायद की जाएगी।
मेला में ही बनवाएंगे वेबसाइट
इस बार मेला का अंतिम प्रमुख स्नान पर्व माघी पूर्णिमा 31 जनवरी को पड़ रहा है। यहां पर्यटन विभाग की ओर से सीएम योगी आदित्यनाथ व पर्यटन मंत्री डॉ। रीता बहुगुणा जोशी की अपील प्रसारित करते हुए कुंभ में आने का आमंत्रण दिया जा रहा है। संत-महात्माओं ने अंतिम स्नान पर्व से पहले विदेशी फालोवर को जोड़ने और उन्हें कुंभ की भव्यता दिखाने के लिए वेबसाइट बनवाने का निर्णय लिया है। अखिल भारतीय दंडी संन्यासी प्रबंधन समिति के संरक्षक स्वामी महेशाश्रम, साकेत धाम अयोध्या के महामंडलेश्वर बिनैका बाबा, पुरी पीठ के स्वामी अधोक्षजानंद सरस्वती, भारत धर्म संघ के स्वामी प्रबल प्रताप जी महाराज ने संस्था के नाम पर वेबसाइट बनवाने का निर्णय लिया है।
किस महात्मा के कहां है फॉलोवर
महामंडलेश्वर बिनैका बाबा
कनाडा, अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया में 50 फालोवर
स्वामी महेशाश्रम
नेपाल, अमेरिका, ब्रिटेन व जर्मनी में 75 फालोवर
स्वामी प्रबल प्रताप जी महाराज
मारीशस, कनाडा व ब्रिटेन में सौ फालोवर
स्वामी अधोक्षजानंद सरस्वती
अमेरिका, सोवियत संघ, न्यूजीलैंड व ऑस्ट्रेलिया में दौ सौ फालोवर
कुंभ में विदेशों से बहुत ज्यादा श्रद्धालु आते हैं। अब तो यूनेस्को से कुंभ मेला को दर्जा मिल गया है। इसलिए हम सब की जिम्मेदारी बनती है कि अपने-अपने अनुयायियों को जोड़कर यहां की महत्ता का प्रचार-प्रसार किया जाए। इसके लिए संस्था के नाम से वेबसाइट बनाकर श्रद्धालुओं को जोड़ा जाएगा।
स्वामी महेशाश्रम, संरक्षक, अखिल भारतीय दंडी संन्यासी प्रबंधन समिति
दुनिया ने कुंभ मेला की महत्ता को समझा है। शासन के इतर हम लोगों ने इसका व्यापक प्रचार करने का निर्णय लिया है। विदेशों में जहां-जहां हमारे फालोवर हैं उनको वेबसाइट और फेसबुक पेज से जोड़कर नई-नई जानकारियां दी जाएंगी और आने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
स्वामी अधोक्षजानंद सरस्वती, पुरी पीठ