-काशी विद्यापीठ पत्रकारिता विभाग में चल रहे ट्रेनिंग प्रोग्राम में एक्सप‌र्ट्स ने स्टूडेंट्स को दी ट्रेनिंग

VARANASI

सोसाइटी में जर्नलिस्ट की भूमिका लोक-शिक्षक की होती है। इसलिए मीडिया में प्रयोग किये जाने वाले भाषा की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाना चाहिए। यह विचार जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में आयोजित मीडिया की भाषा विषयक सात दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम के तीसरे दिन फ‌र्स्ट सेशन में प्रो। श्रद्धानंद ने व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जिसके पास जितनी अधिक भाषा का ज्ञान होगा वो उतना ही अधिक समृद्ध होगा। पत्रकारिता में क्षेत्र विशेष की शब्दावलियों का प्रयोग करना चाहिए। सत्र की शुरुआत संत रविदास की जयंती पर उनके कथन 'मन चंगा तो कठौती में गंगा' पर चर्चा से हुई। हेड प्रो। अनिल कुमार उपाध्याय ने कहा कि समाज की प्रचलित भाषा ही पत्रकारिता की भाषा होनी चाहिए। अध्यक्षता डॉ। रश्मि श्रीवास्तव ने की। सेकेंड सेशन में पत्रकार हिमांशु शर्मा ने कहा कि भाषा में शब्दों की मर्यादा होती है। उन्होंने कल्चरल रिपोर्टिग के तरीकों और उसमें प्रयोग किये जाने वाले शब्दों के बारे में छात्रों को बताया। वहीं राघवेन्द्र मिश्र ने स्टूडेंट्स को प्रेस रिलीज बनाने की ट्रेनिंग दी। कैमरा एक्सपर्ट प्रशांत ने फोटो और विडियो रिकॉर्डिग के विभिन्न पक्षों पर विस्तार से चर्चा की। एसएमएस आर एंड डी डिपार्टमेंट के डॉ। आलोक कुमार ने एडवरटाइजिंग की बारीकियों से छात्रों को अवगत कराया। पत्रकारिता डिपार्टमेंट, उत्तराखण्ड संस्कृत यूनिवर्सिटी के डॉ। धीरज शुक्ला ने भी विचार व्यक्त किये। इस दौरान प्रशिक्षुओं में रुद्राक्ष, आमीन, लकी प्रकाश आदि ने सवाल भी पूछे। धन्यवाद ज्ञापन इलिशा सुमन ने किया। इस दौरान डॉ। प्रभाशंकर मिश्र, डॉ। मनोहर लाल, डॉ। रमेश सिंह, डॉ। रूद्रानंद तिवारी, प्रदीप, राजेश, दिग्विजय, सुमित, संजीव, दीपा रानी, महितोष, दिव्य प्रकाश, सुशील यादव सहित बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स उपस्थित रहे।