- गोरखपुर के आटीओ ऑफिस में नहीं है कोई सुविधा

- ड्राइविंग टै्रक के लिए जमीन नहीं, न ही किसी के बैठने की व्यवस्था

GORAKHPUR: शासन की ओर से प्रदेश भर के आरटीओ की रैकिंग करने की तैयारी की जा रही है। लेकिन अगर आरटीओ की रैंकिंग की जाए तो गोरखपुर नीचे से नंबर वन आएगा। यहां पब्लिक सुविधा भी महज कागजों में ही दिख रही है। बुनियादी सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है। ऐसे में अगर यही स्थिति रही तो यहां के अधिकारियों का हटना तय है, क्योंकि शासन के निर्देश पर कम रैंकिंग वाले आरटीओ अधिकारियों को हटाया भी जाएगा।

जमीन पर बैठती है पब्लिक

शासन स्तर से लेकर मुख्यालय से लेकर की ओर से पब्लिक सुविधा बढ़ाए जाने की बात तो कही जाती है, लेकिन खुद मुख्यमंत्री के गृह जनपद में पब्लिक आरटीओ में जमीन पर बैठकर अपना काम करती है। क्योंकि यहां उनके बैठने तक की कोई व्यवस्था नहीं है। सीट ढूंढने के लिए वह इधर-उधर भटकते हैं और थक-हारकर कहीं दर और दीवार तलाश करते हैं।

कागज में बन गया ड्राइविंग ट्रैक

परमनेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवदेकों को ड्राइविंग कर दिखाना जरूरी है। इसे लेकर पहले भी कई बार सवाल उठ चुके हैं, लेकिन आज भी यहां न तो ड्राइविंग ट्रैक बन सका और न ही किसी प्राइवेट संस्था से आवेदकों का ड्राइविंग टेस्ट कराया जाता है। सुविधा के आधार पर बेहिसाब लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस बांटे जा रहे हैं। हालांकि इससे पहले आरटीओ अधिकारियों ने दावा किया था कि नई बिल्डिंग जब तक नहीं बनती आरटीओ कैंपस में ही अस्थाई रूप से ड्राइविंग ट्रैक बनाकर टेस्ट कराए जाएंगे, लेकिन यह काम भी महज कागजों में ही सिमट कर रह गया।

जनरेटर रूम में फेंका है रिकॉर्ड

स्वच्छता से लेकर जिम्मेदारी तक की बात की जाए, तो यहां बाहर तो मामला चकाचक है, लेकिन अंदर की हालत काफी खराब है। आरटीओ के विभिन्न रिकॉर्ड, दफ्तर से लेकर विभाग के जनरेटर रूम में बेतरतीब फेंके नजर आ जाएंगे। ऐसे में अगर किसी को आने वाले समय में अपने पुराने रिकॉर्ड की जरूरत पड़े तो यह कोई जरूरी नहीं है कि विभाग इसे उपलब्ध करा ही सकेगा। अगर उपलब्ध भी कराएगा, तो उसमें कितने दिन लगेंगे इसकी कोई गारंटी नहीं ली जा सकती है।

- लर्निग लाइसेंस के लिए रोजना आते हैं 250 से 300 आवेदक

- रोजना विभाग जारी करता है 100 से 150 लर्निग लाइसेंस

- 150 से 200 परमानेंट डीएल भी आरटीओ में बनता है रोजाना

- विभिन्न कामों को लेकर रोजना आरटीओ में होती है करीब 200 लोगों की भीड़

- लाइसेंस से लेकर किसी भी काम को बिना मानकों के ही पूरा करा देते दलाल