- अवैध और अनफिट स्कूली वाहनों को हटाने के लिए परिवहन आयुक्त ने जारी किया था निर्देश

- अब हर महीने होगी प्रवर्तन दल की समीक्षा, किसने कितने स्कूली वाहन चेक किए

LUCKNOW: लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद स्कूली वैन और बसों की जांच नहीं हो पा रही है। आलम यह है कि प्रवर्तन दस्ते जांच के नाम पर हर माह लाखों रुपये की कीमत का तेल खर्च कर रहे हैं। बावजूद इसके शहर में अवैध और अनफिट स्कूली वाहन धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं। परिवहन विभाग ने अपने अधिकारियों को हर महीने इस बात की समीक्षा करने का निर्देश दिया है कि दस्ते ने हर महीने कितने स्कूली वाहन पकड़े हैं और कितनों के खिलाफ चालान किया है।

तेल के खर्च में हुई बढ़ोतरी

एटा में हुई स्कूल बस दुर्घटना के बाद परिवहन विभाग ने स्कूल बसों की चेकिंग के लिए प्रदेश में तीन दिवसीय स्पेशल अभियान चलाया था। इस अभियान के बाद परिवहन विभाग ने रोजाना स्कूली बसों और वैन की जांच के आदेश जारी किये ताकि अवैध और अनफिट स्कूली वाहनों पर नकेल कसी जा सके। इस आदेश के बार प्रवर्तन दस्ते के तेल के खर्चे में तो बढ़ोतरी हो गई, लेकिन स्कूली वाहनों की चेकिंग नहीं हो पा रही है।

हर माह खर्च हो रहा पांच लाख

लखनऊ आरटीओ कार्यालय में तैनात तीन एआरटीओ प्रवर्तन दस्ते के पास तीन सरकारी गाडि़यां हैं। इसके अलावा तीन पीटीओ के लिए भी तीन गाडि़यां हायर की गई। इन सभी में रोजाना औसतन 15 से 20 लीटर डीजल खर्च किया जा रहा है। महीने में एक गाड़ी में 500 लीटर डीजल प्रति गाड़ी खर्च हो रहा है। एक गाड़ी औसतन 80 से 90 किमी दौड़ रही है, लेकिन इनका नतीजा कुछ भी नहीं निकल रहा है। स्कूली वाहनों के नाम पर आरटीओ का प्रवर्तन दस्ता हर महीने चार से पांच लाख रुपए खर्च कर रहा है। जबकि प्रवर्तन दस्ते का आंकड़ा देखा जाए तो एक हफ्ते में तीन से चार स्कूली वैन की चेकिंग हो पा रही है। इसमें भी दो के खिलाफ ही एक्शन लिया जा रहा है। जनवरी और फरवरी में अब तक 39 में से 23 स्कूली गाडि़यों की चेकिंग हुई। पिछले माह की तुलना में इस माह गाडि़यों की चेकिंग में आई कमी की वजह प्रवर्तन दस्ता चुनाव को बता रा है।

जल्द ही प्रवर्तन दस्ते की समीक्षा की प्रक्रिया स्टार्ट की जाएगी। सभी का व्यक्तिगत आकड़ा देखा जाएगा कि किसने, कितने स्कूली वाहनों की चेकिंग की। अवैध स्कूली वाहनों का संचालन हर हाल में रोका जाएगा।

- अनिल मिश्र

डीटीसी, लखनऊ मंडल परिवहन विभाग