एक ओर फ्रांस सरकार मित्तल को देश से बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी में जुटी है वहीं दूसरी ओर मित्तल फ़्रांस स्थित अपने दोनों स्टील संयंत्र बंद करने की योजना बना चुके हैं। ऐसे में हर कोई यह जानना चाहता है कि इस मुलाकात में क्या समझौता होता है.आर्थिक मंदी का सामना कर रहे यूरोप के सभी देश अपने यहां निवेशकों को आकर्षित करने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। लेकिन फ्रांस की सरकार इसके उलट राह पर चलती दिख रही है।

फ़्रांस सरकार में औद्यौगिक मामलों के मंत्री अर्नोड मोंटेबर्ग ने इस्पात के सबसे बड़े कारोबारी लक्ष्मी निवास मित्तल को देश से बाहर का रास्ता दिखाने की घोषणा की है। मोंटेबर्ग के मुताबिक मित्तल समूह ने सरकार से झूठ बोला है।

उधर दूसरी ओर लंदन के मेयर बोरिस जॉन्सन ने भारतीय कारोबारियों से दिल्ली में बातचीत करते हुए कहा, ‘आप लोग लंदन में आकर कारोबार करिए। लंदन दुनिया भर की व्यापारिक राजधानी है। लंदन स्टॉक एक्सचेंज में 73 भारतीय कंपनियां पंजीकृत हैं। भारतीय कंपनियां अपने अंतरराष्ट्रीय कारोबार में 53 फ़ीसदी हिस्सा लंदन से निकालती हैं। लंदन की बैंकिंग और वित्तीय व्यवस्था दुनिया भर में सबसे बेहतरीन है.’

दरअसल इस पूरे विवाद की शुरुआत देश के उत्तर पूर्व स्थित लॉरिन के फ्लोरेंज इलाके में स्थित इस्पात संयंत्र से शुरू हुई। मित्तल यहां स्थिति अपने दो संयंत्रों को बंद करना चाहते हैं, जिसके चलते 629 लोग बेरोज़गार हो जाएंगे।

फ़्रांस सरकार ने कहा है कि ये दोनों संयंत्र लाभ की स्थिति में हैं ऐसे में इसे नहीं बेचा जाना चाहिए। इसके अलावा फ़्रांसीसी औद्योगिक मामलों के मंत्री मोंटेबर्ग ने इस पूरे मसले पर यह भी कहा है कि अगर मित्तल अपने इन संयंत्रों को बंद करते हैं तो उन्हें अपना पूरा प्लांट बेचना होगा।

मित्तल ने पूरा प्लांट बेचने से इनकार किया है और कहा है कि इससे 20 हजार लोगों पर असर पड़ेगा। फ्रांसीसी सरकार के इस कदम का काफी विरोध हो रहा है।

विपक्ष के एक सदस्य ने बताया, ‘हम जानते हैं कि होलांद अमीरों को पसंद नहीं करते। लेकिन अब उनकी सरकार कंपनियों को निशाना बना रही है और हमें धनी निवेशकों के जाने का नुकसान उठाना होगा.’

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