- आधे घंटे बाद डॉक्टर ने देखा और नहीं बची जान

- इलाज के लिए नेता ने हड़काया तो डॉक्टर ने तुरंत देखा

Meerut: लोहिया नगर स्थित कांशीराम योजना अंतर्गत बने डूडा के मकान में सोमवार को हुए हादसे से लोगों का दिल दहल गया। जिसमें पांच बच्चे और दो महिलाओं की जलने से दर्दनाक मौत हो गई। इस घटना में घायल एक बच्ची को मेडिकल कॉलेज अस्पताल की इमरजेंसी ले लाया गया था। जहां करोड़ों रुपए से तैयार हो रही इस आधुनिक इमरजेंसी में पहुंची घायल इस बच्ची के इलाज में देरी होने पर उसने दम तोड़ दिया। जहां छह लोग पहले ही मोर्चरी पीएम हाउस में जले-भुने पड़े थे, वहीं इस बच्ची की लाश भी पहुंच गई। इसके साथ ही मेडिकल की व्यवस्था की पोल भी खुलकर सामने आई।

यह रहा मामला

खरखौदा थाना एरिया के अंतर्गत आने वाली कांशीराम कालोनी के मकान नंबर केएफ ख्म्क् में सोमवार की सुबह अचानक जबरदस्त आग लगी। जहां मकान में रहने वाला परवेज उसकी पत्नी साजिया, बेटा फरहान, अदनान, बेटी जोया और रिश्तेदारी मिलने आई इसकी साली रेशमा पत्नी अनवार, इसकी बेटी सोफिया, आबिया सब इस आग में बुरी तरह झुलस गए। जिसमें परवेज को छोड़कर सभी इस आग की भेंट चढ़ गए। दो महिलाओं सहित पांच बच्चों की जान इस अग्निकांड में चली गई। परवेज भी बुरी तरह जल गया और अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है।

काश यहां व्यवस्था होती

मेडिकल कॉलेज अस्पताल की नई इमरजेंसी में परवेज की सात माह की बेटी जोया गंभीर हालत में भर्ती की गई थी। जहां पहले तो इस बच्ची को इलाज के लिए डॉक्टर नहीं मिला। आधा घंटा इस बच्ची को इलाज के लिए इंतजार करना पड़ा। इलाज शुरू हुआ तो बुरी तरह झुलसने के कारण यह बच नहीं पाई। मेडिकल की इस नई इमरजेंसी को आधुनिक बताया जाता है। जहां ट्रोमा सेंटर भी तैयार हो रहा है। डेढ़ सौ करोड़ की लागत से तैयार होने वाली इस इमरजेंसी व ट्रोमा सेंटर की हालत बद से बदतर है। काश इस बच्ची को अच्छा इलाज मिल गया होता तो शायद जान बच सकती थी।

नहीं कोई व्यवस्था

मेडिकल कॉलेज की इस नई इमरजेंसी को आधुनिक तरीके से बनाया जा रहा है। जिसकी बिल्डिंग अभी पूरी तरह तैयार भी नहीं है और उसको चालू कर दिया गया। यहां ना स्टाफ है और ना ही कोई खास व्यवस्था। बर्न पर्सन को रखने के लिए कोई ऐसी व्यवस्था ही नहीं है जहां उसकी जान बच सके। जो भी मरीज आता है उसको सबके साथ रखा जाता है। इस सात माह की बच्ची को भी सही इलाज नहीं मिल पाया और उसकी मौत हो गई। वहीं एक मरीज को इलाज के लिए डॉक्टर तब तैयार हुए जब सपा छात्र नेता अतुल प्रधान ने हड़काया। इससे पहले उस मरीज को डॉक्टर देख भी नहीं रहे थे।

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मोर्चरी पर मौत का मंजर

सुबह की घटना के बाद पुलिस ने पहले सभी मृतकों को पहले मोर्चरी पीएम हाउस बिना सील किए पहुंचा दिया। मौके से विरोध झेलते हुए इन बॉडी को मोर्चरी लाकर पटक दिया गया। जिनको सील करने की प्रक्रिया भी नहीं की गई थी। साथ ही पंचनामा भी बाद में ही भरा गया। मोर्चरी में पड़ी सभी मृतक की बॉडी इस हादसे की कहानी बयां कर रही थीं। मोर्चरी में पड़ी इन सात बॉडीज के पीएम को पहले पुलिस ने पंचनामा भरा। जिसकी प्रक्रिया में घंटों लगे। इसके बाद इनके सील किया गया और फिर पीएम के कागजात की तैयारियां की गई।

सुबह से रात तक

पीएम हाउस पर मौजूद कई थानों की पुलिस इन सभी बॉडी के पोस्टमार्टम में लगी रही। प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस अधिकारी मौजूद रहे। साथ ही नेताओं का आवागमन रात तक लगा रहा। सपा नेताओं का आवागमन जोरों पर रहा। पीएम की सभी प्रक्रिया शुरू होने के बाद दो डॉक्टर और एक फार्मासिस्ट की टीम ने इनका पीएम किया। जहां रात तक इन सभी बॉडी का पीएम चलता रहा। पीएम के साथ लोगों की भीड़ भी बढ़ रही थी। इसके चलते पुलिस की भी खासी व्यवस्था रही, ताकि कोई हंगामा हो तो संभाला जा सके।

संभल नहीं पा रहे थे आंसू

मोर्चरी पर मौजूद परवेज के भाई और रिश्तेदारों का रो-रोकर बुरा हाल था। बॉडी को देखकर तो हर किसी का दिल कांप उठा था। मासूम बच्चों की जली भुनी बॉडी को देखने से सभी लोग कतरा रहे थे। यहां तक की पुलिस भी इन बॉडी को देखने से बच रही थी। बस बॉडी को किसी तरह सील कर दिया गया। रेशमा के लिए तो सबका कहना था कि उसको मौत यहां खींच लाई। काश वह यहां नहीं आती तो शायद उसके बच्चे और वह बच जाती। मोर्चरी पर मौजूद हर किसी की जुबान पर मासूमों की मौत का जिक्र था। जिनको शायद चिल्लाने का मौका भी नहीं मिला होगा।