- वेदव्यासपुरी स्कीम में जसवंत शुगर मिल की 1500 वर्ग मीटर जमीन बिना एग्रीमेंट के कब्जा ली, मुआवजा नहीं दिया

- हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन और एमडीए को किया तलब, मौजूदा रेट्स पर देना होगा मुआवजा

आई एक्सक्लूसिव

अखिल कुमार

मेरठ: यूं शहरभर में अपनी जमीनों की रखवाली करने में नाकाम एमडीए ने नया कारनामा कर दिखाया। हालांकि बात पुरानी है किंतु जवाब आज देना पड़ रहा है। 1991-92 में वेदव्यासपुरी स्कीम में एमडीए ने जसवंत शुगर मिल की करोड़ों की कीमत की जमीन को कब्जा लिया, न मिल प्रबंधन से पूछा और न मुआवजा दिया।

क्या है प्रकरण

मेरठ विकास प्राधिकरण ने वर्ष 1991-92 में वेदव्यासपुरी योजना का आगाज करते हुए एनएच-58 के समीप करीब 800 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करते हुए विशाल आवासीय स्कीम डेवलेप की। हालांकि ग्रामीण सीलिंग के चलते जसवंत शुगर मिल की 400 एकड़ भूमि पर प्राधिकरण का कब्जा नहीं है, विवाद हाईकोर्ट में लंबित है। शेष 400 एकड़ अधिग्रहित भूमि पर भी कई मुकदमे हाईकोर्ट में चल रहे हैं, इसी में से एक मुकदमा जसवंत शुगर मिल प्रबंधन द्वारा प्राधिकरण और जिला प्रशासन के खिलाफ चल रहा है।

क्यों नहीं दिया मुआवजा?

प्राधिकरण की कब्जे वाली 400 एकड़ भूमि में करीब 1500 वर्ग मीटर के भूभाग पर दावा करते हुए जसवंत शुगर मिल प्रबंधन ने ही जिला प्रशासन और प्राधिकरण को कटघरे में खड़ा किया है। हाईकोर्ट में दायर केस में मिल प्रबंधन ने आरोप लगाया कि करोड़ों की भूमि पर एमडीए ने जबरन कब्जा कर लिया। न तो मुआवजा दिया और न ही कब्जे से पूर्व मिल प्रबंधन को जानकारी दी है। जमीन पर मिल प्रबंधन की दावेदारी पुष्ट होने के बाद हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन और एमडीए को फटकार लगाते हुए मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं। मिल प्रबंधन का दावा है कि भू-भाग की कीमत आज की तारीख में करोड़ों रुपये है।

30 को होगी हाजिरी

जिलाधिकारी और प्राधिकरण के उपाध्यक्ष से मुआवजा अदा न करने पर हाईकोर्ट ने लिखित में जवाब तलब किया है। 30 मई को कोर्ट में हाजिरी है। प्रशासन ने जवाब में कहा कि मालिकाना हक प्रमाणित होने के बाद प्राधिकरण को मुआवजा अदा करना चाहिए। इस संबंध में प्रशासन प्राधिकरण से जवाब-तलब कर रहा है।

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प्राधिकरण और जिला प्रशासन से हाईकोर्ट ने वेदव्यासपुरी स्कीम में जसवंत शुगर मिल की ओर से दायर केस पर जवाब मांगा है। 1500 वर्ग मीटर भूखंड का मुआवजा ने देने के केस में प्राधिकरण से जबाव-तलब भी किया गया है।

गौरव वर्मा, एडीएम, फाइनेंस

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वेदव्यासपुरी योजना का अधिग्रहण 1991 से आरंभ हुआ था। जसवंत शुगर मिल के केस के संबंध में प्राधिकरण जवाब बनाकर हाईकोर्ट में भेज रहा है। मालिकाना हक को लेकर विवाद की स्थिति बनी है।

अवनीश कुमार, सचिव, मेरठ विकास प्राधिकरण