- दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के ग्रुप डिस्कशन में उठा सरकारी कर्मचारियों की लेटलतीफी का मुद्दा

- आलाधिकारियों की अनदेखी को लोगों ने बताया मुख्य कारण

- कर्मचारियों की जबावदेही तय होने सहित आए ढेरों सजेशन

GORAKHPUR: जिले की व्यवस्था एक रेल की तरह है। अगर इंजन सही टै्रक पर दौड़ रहा है, तो डिब्बे भी उसके पीछे-पीछे सही दिशा में जाएंगे। लेकिन अगर इंजन डीरेल हुआ, तो डिब्बे भी पटरी से उतर जाएंगे। ठीक ऐसे ही सरकारी महकमों की व्यवस्था भी है। अगर यहां के आलाधिकारी सख्त रहें और टाइम की पंक्चुअल्टी रखें, तो उनके मातहत काम करने वाले कर्मचारी भी अपनी जिम्मेदारी समझेंगे और वक्त से ऑफिस पहुंचकर अपना काम करेंगे। यह बातें सामने आईं दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ऑफिस में ऑर्गनाइज ग्रुप डिस्कशन में, जिसमें लोगों ने सरकारी महकमों की व्यवस्था और उनकी कार्यप्रणाली को दुरुस्त करने के लिए बेबाकी से अपनी राय दी।

थोड़ी सी लापरवाही, ढेरों नुकसान

सरकारी महकमों में यह हर रोज की सूरत होती है कि जिम्मेदार तय टाइम से लेट पहुंचते हैं। वहीं अगर आ भी गए, तो सीट पर काम शुरू करने में उन्हें आधे घंटे का वक्त लग जाता है। कहने को तो यह छोटी सी लापरवाही है, लेकिन इसकी वजह से वहां आने वाले लोगों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ता है। अपना सारा काम छोड़कर पहुंचने वाले लोगों का जहां काम अफेक्ट होता है, वहीं स्टूडेंट्स को अपने क्लास और लेक्चर छोड़ने पड़ते हैं। जो पैसे खर्च हों और टाइम बर्बाद हो वह अलग।

कोट्स

बॉस अगर ठीक हों तो कर्मचारी खुद ब खुद ठीक रहेंगे। अनुशासन का कोई विकल्प नहीं है, इसलिए लोगों को खुद अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। आलाधिकारियों को भी जिम्मेदारी तय करनी होगी। एंप्लॉइज को खुद दुरुस्त होना होगा।

- प्रो। अजय कुमार शुक्ला, शिक्षक

कोई अगर ठान ले कि उसे लेट आना है, तो उसे कोई टाइम पर नहीं पहुंचा सकता। इसके लिए वर्क कल्चर में बदलाव काफी जरूरी है। काम में ट्रांसपेरेंसी होनी चाहिए। डेवलप कंट्रीज में वर्क में लोग संस्कारी हैं और वहां हमेशा ही टाइम पर सारे काम शुरू हो जाते हैं।

- प्रो। शरद मिश्रा, शिक्षक

लोगों को काफी अधिकार मिले हुए हैं। अगर कोई सरकारी एंप्लॉई काम नहीं करता है, तो फौरन आलाधिकारी से उसकी शिकायत की जानी चाहिए। लोगों में अवेयरनेस की काफी कमी है। लोग अपोज नहीं करते हैं, जिसकी वजह से सरकारी व्यवस्था बिगड़ती चली जा रही है।

- राजु लुहारिका, व्यापारी

सरकारी ऑफिसेज में एंप्लॉइज टाइमली आने के बाद भी काम नहीं करते हैं। खासतौर पर बैंक्स की बात करें तो इसमें सबसे ज्यादा मनमानी हो गई है। कई बार मुझे इसकी वजह से परेशान होना पड़ा है।

- शिव प्रसाद, स्टूडेंट

सरकारी ऑफिस में कोई भी काम हो, वक्त बर्बाद होना तय है। बिल जमा करने जाते हैं, तो वहां कर्मचारी टाइमली नहीं आते हैं। बैंक में जाते हैं तो कर्मचारी होने के बाद भी देर में सीट पर बैठते हैं। इससे कई बार लेक्चर छोड़ना पड़ता है। पढ़ाई का काफी लॉस होता है।

- अविनाश, स्टूडेंट

यह आए सजेशन -

- अनुशासन का कोई विकल्प नहीं है।

- लोगों को अपने अधिकार जानने होंगे।

- इसके लिए अवेयरनेस प्रोग्राम चलाए जाने चाहिए।

- आलाधिकारियों को भी अपने मातहतों पर नजर रखनी चाहिए।

- कर्मचारी अगर काम नहीं कर रहा है तो उसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए।

- लोगों को खुद अवेयर होना पड़ेगा और अपनी शिकायत और आपत्ति दर्ज करानी होगी।

- सरकारी महकमों में शिकायत के कई ऑप्शन हैं। संबंधित जिम्मेदार तक अपनी बात जरूर पहुंचाएं।

- सरकारी कर्मचारियों को भी खुद में बदलाव लाना होगा।