फैसला बताया नहीं, घोषित कर दी परीक्षा की तिथि, 13 मई को एग्जाम

यूपीपीएससी के रवैये के खिलाफ छात्र-छात्राएं चला रहे हैं कैम्पेन

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: हिंदी और अंग्रेजी माध्यम को समान तवज्जो न मिलना, बड़े आंदोलन के आगाज का कारण बनने की राह पर है। इस पर विचार कर फैसला लेने का भरोसा देने वाला उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग अपने वादे से मुकर गया और परीक्षा की तिथि घोषित कर दी तो प्रतियोगी छात्र इसके खिलाफ खड़े होने को तैयार हो रहे हैं। न्यायिक सेवा समानता संघर्ष मोर्चा के बैनर तले छात्र यूथ डे पर 12 जनवरी को चन्द्रशेखर आजाद पार्क से इसकी शुरुआत करेंगे।

07 दिसम्बर को कर चुके हैं प्रदर्शन

न्यायिक सेवा परीक्षा से जुड़े प्रतियोगी बीते 07 दिसम्बर को आयोग कार्यालय तक जोरदार प्रदर्शन कर चुके हैं। इसमें अच्छी तादात में लड़कियां भी थीं। उस समय आयोग ने प्रतियोगियों को तय समय सीमा के अंदर मांगों पर विचार करके बताने के लिए कहा था। लेकिन बाद में कोई भी निर्णय सामने नहीं आ सका। जिसके बाद प्रतियोगियों ने एक बार फिर सड़क पर उतरकर अपनी आवाज उठाने की तैयारी की है। छात्रों में रोष इस बात को लेकर भी है कि आयोग ने बिना कोई निर्णय बताए पीसीएस जे 2018 प्री परीक्षा की तिथि भी 13 मई डिक्लेयर कर दी है। बता दें कि परीक्षा में परीक्षार्थियों की संख्या करीब 40 हजार के आसपास होती है। प्रदर्शन की अगुवाई मोर्चा की आराध्या पांडेय, रजनी मधेसिया, नीलिमा मिश्रा, हिमानी सिंह, रामकरन निर्मल, सुशील चौधरी, गजेन्द्र सिंह यादव, देवेन्द्र माथुर, सत्यपाल सिंह आदि करेंगे।

प्रतियोगियों की मांगे

भाषा के प्रश्न पत्र में अंग्रेजी के साथ हिन्दी को भी सम्मिलित किया जाये और दोनो के अंक समान हों।

प्रश्न पत्र के मूल्यांकन में हिन्दी माध्यम के छात्रों के साथ हो रहे भेदभाव को समाप्त किया जाये।

न्यायिक परीक्षाओं का आयोजन प्रतिवर्ष नियमित रूप से किया जाये।

उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा सिविल जज (जूनियर डिवीजन) की परीक्षा में अन्य राज्यों की भांति अवसर की बाध्यता समाप्त किया जाये।

इन्हें बनाया गया है आधार

बिहार न्यायिक सेवा में सामान्य हिन्दी का 100 अंक और सामान्य अंग्रेजी का 100 अंक का प्रश्न पत्र होता है।

झारखंड न्यायिक सेवा में हिन्दी एवं अग्रेजी निबंध, संक्षेपण लेखन अनुवाद एवं व्याख्या का 100 अंक का प्रश्न पत्र होता है।

हरियाणा न्यायिक सेवा में अंग्रेजी का 200 अंक और हिंदी का 100 अंक का प्रश्न पत्र होता है।

पंजाब न्यायिक सेवा में अंग्रेजी का 200 अंक और पंजाबी का 150 अंक का प्रश्न पत्र होता है।

हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा में अंग्रेजी का 150 अंक और हिंदी का 100 अंक का प्रश्न पत्र होता है।

इसी प्रकार मध्य प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों की स्थिति है।

यूपी न्यायिक सेवा परीक्षा को छोड़कर किसी भी राज्य में अवसर की बाध्यता नहीं है।

परीक्षा के लिये मिलते हैं चार अवसर

पीसीएस जे की परीक्षा में जनरल कैटेगरी के कैंडिडेट्स के लिये परीक्षा में उम्र सीमा 35 वर्ष है।

एससी वर्ग के लिये यह सीमा 40 वर्ष तक निर्धारित है।

इसके अलावा इस परीक्षा में अवसर की बाध्यता भी चार बार ही है।

ऐसे में जरूरी है कि पीसीएस जे की परीक्षा का आयोजन प्रतिवर्ष हो

प्रतिवर्ष परीक्षा का आयोजन न होने के कारण न्यायिक सेवा के प्रतियोगियों को नौकरी नहीं मिल पा रही।

12 साल में पांच बार ही हुयी परीक्षा

साल 2006 से 2017 के बीच कुल पांच बार ही वैकेंसी निकाली गयी।

पीसीएस जे 2006, 2012, 2013, 2015 और 2016 परीक्षा शामिल रही।

इस दौरान आयोग ने इतनी कम मात्रा में वैकेंसी निकाली। जिससे सबको नौकरी की आस बंध पाना भी मुश्किल रहा।

साल 2012 में 75 पद, 2013 में 125 पद, साल 2015 में 197 पद और 2016 में 218 पद ही विज्ञापित किये गये।

यह भी है नाराजगी का कारण

पीसीएस जे की मुख्य परीक्षा में अंग्रेजी भाषा के 200 अंकों का एक प्रश्न पत्र होता है।

हिन्दी माध्यम के छात्रों को 10, 12, 15 से लेकर 20 अंक तक दिये जाते हैं।

प्रतिभावान हिन्दी माध्यम के छात्रों को अंग्रेजी माध्यम के छात्रों की तुलना में कम करके आंका जा रहा है।

ऐसे में हिन्दी माध्यम के छात्रों का अंतिम रूप से चयन अंग्रेजी माध्यम के छात्रों के मुकाबले न के बराबर होता जा रहा है।