- एलडीए में लगातार शिकायतें करने के बाद भी कोई अधिकारी नहीं आता झांकने

- रिहायशी इलाकों में चल रही इन कामर्शियल एक्टिविटीज से एलडीए को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान

LUCKNOW: कैम्पवेल रोड पर रहने वाले संजय रस्तोगी की रातों की नींद हराम है। रात क्0 बजते ही उनके पड़ोस में शोर शुरू हो जाता है। मजदूर गड्ढा खोदने लगते हैं। यहां कॉम्प्लेक्स बनाए जाने की तैयारी है। एलडीए में भी शिकायत की जा चुकी है लेकिन फिलहाल कोई एक्शन नहीं लिया गया है। अमीनाबाद में महिला कॉलेज के सामने कच्चा हाता में देखते ही देखते रेजीडेंशियल इलाके की पतली गली में दो मंजिला शॉपिंग काम्प्लेक्स बनवा दिया गया। स्थानीय लोगों ने एलडीए में लगातार शिकायतें कीं लेकिन कोई अधिकारी यहां झांकने तक नहीं पहुंचा।

राजस्व में लगा रहे सेंध

दो मामले यह बताने के लिए काफी हैं कि किस तरह रेजीडेंशियल इलाके में कॉम्प्लेक्स बनते जा रहे हैं। न तो यहां पार्किंग का कोई इंतजाम रहता है और न ही नक्शा पास कराया जाता है। एलडीए के इंजीनियर यहां पहुंचते हैं और महीना तय करके आंखें मूंद लेते हैं। यदि टॉप आफीशियल का दबाव आता है तो वह नोटिस सर्व करके काम चला लेते हैं। रिहायशी इलाकों में चल रही इन कामर्शियल एक्टिविटीज से एलडीए को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। बिना लैंड यूज चेंज कराए ही रिहायशी इलाकों चौक, ठाकुरगंज, राजाजीपुरम सहित पुराने लखनऊ के अन्य इलाकों में कामर्शियल एक्टिविटीज चल रही हैं। कई शोरूम मालिकों ने तो अवैध रूप से जमीन खोदकर स्टोर रूम बना दिया है।

घर-घर खुल गए चिकन शोरूम

चौक चौराहे के पास जर्जर रिहायशी मकानों में शोरूम खोल दिए गए हैं। प्रेम मिष्ठान भंडार से बावर्ची रेस्टोरेन्ट तक करीब आधा दर्जन दुकानों में चिकन के शोरूम खुल चुके हैं। जबकि इनका लैंडयूज भी चेंज नहीं कराया गया है। केवल इतना ही नहीं एलडीए की बिना परमीशन लिए ही अंडरग्राउंड कंस्ट्रक्शन भी करा दिया है। इसी तरह राजाजीपुरम और ठाकुरगंज इलाके में भी कामर्शियल सेन्टर खुलते जा रहे हैं। इनमें से किसी का भी नक्शा पास नहीं है। जबकि सरकार ने रोक लगा रखी है कि बिना नक्शा पास किए कोई बिल्डिंग नहीं बनाई जाएगी।

तंग गली में बहुमंजिला बिल्डिंग

चौक की फूल वाली गली में तारा शंकर लेन के पास एक बहुमंजिला शापिंग काम्प्लेक्स खड़ा कर दिया गया। यह गली इतनी तंग है कि यहां से गुजरना ही मुश्किल है। पार्किंग की भी कोई व्यवस्था नहीं है। भू उपयोग भी नहीं बदला गया है। रिहायशी इलाके में बन चुकी इस बिल्डिंग को लेकर क्षेत्रीय लोगों में काफी आक्रोश भी है। पिछले साल लैंड यूज चेंज किए बिना बनाए गए क्फ्7 भवनों को नोटिस जारी की गई थी लेकिन कोई एक्शन अभी तक नहीं लिया गया और धड़ाधड़ शोरूम और काम्प्लेक्स बनते रहे।

मिट्टी का हो रहा खनन

इन अपार्टमेंट से निकलने वाली मिट्टी का अवैध खनन हो रहा है। प्रशासन को इसकी रायल्टी भी नहीं मिल रही है। गोमतीनगर में तो एक निर्माणाधीन होटल में इस कदर खनन किया जा चुका है कि आस-पास के मकान की नींव भी हिल गई हैं।

ट्रैफिक की दिक्कतें

रेजीडेन्शियल इलाकों में कामर्शियल एक्टिविटीज होने से सबसे ज्यादा परेशानी ट्रैफिक को लेकर होती है। सड़क पर गाडि़यां खड़ी होने की वजह से यहां हर समय जाम की स्थिति बनी रहती है।

जांच कराई जाएगी

एलडीए के अधीक्षण अभियंता दुर्गेश श्रीवास्तव का कहना है कि ऐसी बिल्डिंगों की जांच कराई जाएगी। यदि पार्किंग की जगह नहीं छोड़ी होगी तो हर हालत में पार्किंग रीस्टोर कराई जाएगी।