BAREILLY:

साइकिल पर पैडल मार कर दोस्तों के साथ एंज्वाय करती लड़कियों को तो आप सबने देखा ही होगा। लेकिन क्या कभी सोचा कि बंद दरवाजों से इन्हे बाहर निकालने में साइकिल ने कितना अहम रोल अदा किया है। आइए हम आपको बताते हैं कि कैसे साइकिल लड़कियों की उड़ान का पहला सपना बनी। और आखिर कैसे लेडीज साइकिल ने मार्केट में बूम ला दिया है। ग‌र्ल्स की च्वॉइस को ध्यान में रखकर मार्केट में बेहतरीन स्टाइलिश और डिजाइन की साइकिल्स ने एंट्री की है। शॉपकीपर्स ने बताया कि प्रजेंट टाइम में मार्केट में म् हजार से लेकर ब् लाख तक रेंज की साइकिल मार्केट में अवेलबल हैं। साथ ही जापानीज साइकिल की भी डिमांड जमकर हो रही है।

स्टैंडर्ड से कस्टमाइज्ड होने तक का सफर

साइकिल शॉप ओनर्स ने बताया कि जैसे-जैसे लड़कियों की पढ़ाई के लिए पेरेंट्स कंसर्न होते गए, साइकिल बाजार में लेडीज साइकिल की मांग बढ़ती गई। ग‌र्ल्स अपने स्कूल टाइम तक ही साइकिल से स्कूल जाना ही प्रिफर कर रही हैं। साइकिल स्टोर मालिक अर्चित सेठी बताते है कि छोटे शहरों से लेकर मेट्रो सिटीज तक की लड़कियां स्कूल जाने के लिए साइकिल से ही जाना पसंद करती हैं। ऐसे में सुपर बाइक्स की डिमांड जमकर हो रही है। इससे कूल लुक तो मिलता ही है साथ ही मौज मस्ती करने का मौका भी मिल जाता है।

एडवांस हुई लेडीज साइकिल

दस साल पहले जब लेडीज साइकिल ने मार्केट में एंट्री की, उस दौरान फ्रंट में लगी बास्केट वाली कलर फुल साइकिल ग‌र्ल्स की पहली पंसद थी। लेकिन धीरे धीरे लुक और फीचर्स रफ एंड टफ कर दिये गए। डोमेस्टिक कंपनीज भी लेडीज साइकिल में कई तरह के एक्सपेरिमेंटल चेंजेज करते हुए अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। लेडीज साइकिल्स में एलॉय व कार्बन मेटल के फ्रेम की साइकिलें आ रही है जो कि बहुत हल्के वजन की है। इसमें एलॉय मेटल फ्रेम की साइकिल का वेट म् से 8 किलो जबकि कार्बन मेटल वाली साइकिल का वेट फ् से ब् केजी होता है। जिससे पैडल मारते ही साइकिल भर्राटा भरने लगती है।

साइकलिंग से सुपर ग‌र्ल्स का अहसास

लेडीज साइकिल में आ रहे नये स्टाइल और फीचर्स ने साइकिल की सवारी करने वाली ग‌र्ल्स को सुपर ग‌र्ल्स बना दिया है। मार्केट में अवेलबल लेडीज साइकिल में मैक्सीमम पांच गियर्स, डबल शॉकर्स और पावर ब्रेक फीचर आ रहा है। कीमत की बात करें तो देसी और विदेशी कंपनियों की लेडीज साइकिल्स की कीमत तीस हजार से लेकर चार लाख रुपये तक है। इन्होंने ग‌र्ल्स की फिटनेस और फैशन को भी ध्यान में रख रही हैं। साइकिल स्टोर ओनर्स ने बताया कि एक्सरासाइज के लिए साइकिलिंग प्रिफर करने वाली ग‌र्ल्स कस्टमाइज्ड साइकिल को ज्यादा परचेज कर रही हैं।

पैडल चलाकर सशक्त राहों पर आगे बढ़ती गई लड़कियां

साहित्यकार निर्मला सिंह ने बताया कि लड़कियों की शिक्षा में भूमिका निभाने के साथ ही साइकिल ने उनमें आत्म निर्भरता भरने में भी अहम रोल निभाया है। इसने रुढि़वादिता को खत्म कर लड़कियों को पंछियों सा खुले आसमान में उड़ना सिखाया।