- बुधवार को सीएम ने राजकीय शिक्षक संघ के चतुर्थ द्विवार्षिक अधिवेशन में की शिरकत

- सीएम बोले, 60 प्रतिशत बच्चे प्राइवेट स्कूलों की तरफ, जबकि सरकारी शिक्षकों की सैलरी सबसे ज्यादा

DHRADUN: राजकीय शिक्षक संघ के चौथे द्विवार्षिक अधिवेशन में पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि प्राइवेट स्कूलों के बजाय सरकारी स्कूलों में अब केवल ब्0 प्रतिशत बच्चे रह गए हैं। चिंता जताते हुए सीएम ने कहा कि जब स्कूलों में बच्चों की संख्या ज्यादा रहेगी तो सरकारी स्कूल बंद होने से बच पाएंगे और उसका लाभ सीधे शिक्षकों को मिल सकेगा।

योग्य शिक्षकों का बनेगा थिंक टैंक

सीएम ने बुधवार को लक्ष्मण इंटर कॉलेज में आयोजित राजकीय शिक्षक संघ के चतुर्थ द्विवार्षिक अधिवेशन में सरकारी स्कूलों में बच्चों के गिरते ग्राफ पर चिंता जताते हुए कहा कि वर्तमान में म्0 प्रतिशत बच्चे प्राइवेट व केवल ब्0 प्रतिशत बच्चे ही सरकारी स्कूलों में रह गये हैं। जबकि सरकारी स्कूलों के अध्यापक सबसे योग्य हैं, सैलरी भी ज्यादा पाते हैं। ए ग्रेड में सरकारी अध्यापक ही आता है। हमारे बच्चे भी सरकारी अध्यापक तभी बन पायेंगे, जब हम उनके लिये अवसर छोड़ेंगे। इसके लिये स्कूलों को बंद होने से बचाना होगा। उनकी एजुकेशन क्वालिटी पर ध्यान देने की जरूरत है। क्0-क्ख् शिक्षकों का थिंक टैंक गठित करने की जरूरत है। सीएम ने कहा कि हमें अपने बच्चों की चिंता करनी होगी, हमारे बच्चे हमारे विद्यालयों में गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्राप्त कर सकें, मनन करने की जरूरत है। सीएम ने शिक्षकों से शिक्षा के विकास व उन्नयन पर विशेष ध्यान देने की अपेक्षा की है। कोई भी छात्र-छात्रा शिक्षा से आहत न हो, शिक्षकों को ध्यान रखना होगा। शिक्षक राज्य के लिये प्राइड भी होता है। राज्य में शिक्षकों की बड़ी संख्या के दृष्टिगत उन्होंने देहरादून में संगठन के लिये संघ भवन की जरूरत बतायी। इस दौरान निदेशक माध्यमिक शिक्षा आरके कुंवर, कुलपति एसजीआरआर् विवि डा.पीताम्बर प्रसाद ध्यानी, राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष राम सिंह चौहान, संरक्षक अरविंद चौधरी आदि मौजूद रहे।

शिक्षकों को मिलेगा आकस्मिक अवकाश

अधिवेशन में सीएम ने शिक्षकों को विशेष आकस्मिक अवकाश की स्वीकृति पर भी मुहर लगाई और कहा कि जल्द ही सूबे में स्थानान्तरण अधिनियम लाया जायेगा। इस दौरान सीएम ने राजकीय शिक्षक संघ की स्मारिका शिक्षा दर्पण का विमोचन व वेबसाइट का लोकार्पण किया।