शायद भगवान बनने के लिए सुपरनेचुरल पॉवर की जरूरत होती है लेकिन क्रिकेट के जिस भगवान की बात हम कर रहे हैं, उसे हमने हारते हुए और क्रिकेट के मैदान में जूझते हुए भी देखा है।

पिछले 23 साल से क्रिकेट खेल रहे सचिन भले ही खुद को एक बैट्समैन मानते हों लेकिन अब वह दुनिया भर के लोगों के लिए एक ऐसा आईकॉन बन गए हैं जिनसे सिर्फ क्रिकेट की बारीकियां ही नहीं सीखी जा सकती हैं बल्कि एक सक्सेसफुल प्रोफेशनल और बेहतर इंसान बनने के टिप्स भी लिए जा सकते हैं।

Preparation is in your hands not the result

सचिन का मानना है कि वह कभी रिजल्ट के बारे में नहीं सोचते क्योंकि रिजल्ट उनके कंट्रोल में नहीं होता। उनके मुताबिक, प्रिपरेशन हमारे कंट्रोल में होती है, इसमें हम अपना 100 परसेंट दे सकते हैं। हम यह तय नहीं कर सकते कि आज हम 100 रन बना कर ही आएंगे या पांच विकेट लेकर आएंगे।

Tip: आपका प्रोफेशन चाहे जो हो आप उसमें जो सबसे बेहतर कर सकते हैं वह है अपने काम की पूरी तैयारी।

‘At least with me, the match starts much, much earlier than the actual match.’

-Sachin Tendulkar

Have a never ending hunger

सचिन अपनी परफॉर्मेंस से खुश तो हैं लेकिन सैटिस्फाइड नहीं हैं। शायद रन बनाने की इसी भूख के चलते लोगों को उनसे एक शानदार खेल की उम्मीदें रहती हैं। आज भी वह खेल के मैदान में एक 16 के प्लेयर की तरह एनर्जेटिक और मुस्कुराते हुए दिखते हैं।

Tip: अगर अपने प्रोफेशन में हम अपने काम को लेकर सचिन जैसी ही भूख दिखाएं तो कुछ भी पॉसिबल हो सकता है. 

‘I am happy with my performance, but not satisfied.’

-Sachin Tendulkar

Fallow the discipline

किसी बॉल को स्ट्रेट ड्राइव लगाकर बाउंड्री पार कराना या गैप में शॉट खेलकर रन चुराना शायद किसी क्रिकेटर के लिए बहुत बड़ी बात नहीं है लेकिन इसी काम को पिछले 23 साल से लगातार एक डिसिप्लिन के साथ करते रहना निश्चित तौर पर एक बड़ी बात है। नेट प्रैक्टिस के दौरान सचिन का डिसिप्लिन जग जाहिर है। एक बार ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर शेन वॉर्न को बेहतर तरीके से खेलने के लिए सचिन ने भीगे टेनिस बाल से नेट प्रैक्टिस की थी। कई बार सचिन उस वक्त भी प्रैक्टिस करते रहते हैं जब यंग प्लेयर्स प्रैक्टिस बंद कर चुके होते हैं।

Tip: आप लाख टलैंटेड हों खुद से बेहतर परफॉर्मेंस की उम्मीद तभी कर सकते हैं जब आप अपने काम को एक डिसिप्लिन तरीके से पूरा करते हैं।

Sachin Tendulkar

Know your limitations

कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अपने प्रोफेशन में कितने सफल हैं। हर किसी की अपनी लिमिटेशंस होती हैं। सचिन को लगा कि वह  बेहतर कैप्टन नहीं हो सकते, उन्होंने कैप्टेंसी छोड़ दी और दोबारा एक्सेप्ट नहीं की। सचिन शुरुआत में जेफ थॉमसन और लिलि की तरह फास्ट बॉलर बनना चाहते थे लेकिन उन्होंने रियलाइज किया कि वह बेहतर बैट्समैन हैं।

Tip: सिर्फ अपनी स्ट्रेंथ ही नहीं बल्कि अपनी लिमिटेशंस भी पहचाननी चाहिए। अगर आपको लगता है कि आप जो काम कर रहे हैं उसे करने की स्किल्स आपमें नहीं हैं तो उसे छोड़ दीजिए। अगर फैमिली, सोसायटी, सिक्योरिटी जैसे इश्यू इसमें आड़े आए तो उन्हें भी टैकल कीजिए।

 

Accept the changes

सचिन ने पाकिस्तान के खिलाफ 1989 में डेब्यू किया उसके बाद क्रिकेट में  टी-२०, फ्री हिट्स और अम्पायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम जैसे ढेरों बदलाव आए, इन बदलावों के साथ  सचिन ने खुद को बखूबी ढाल लिया और अपना बेहतर परफॉर्मेंस जारी रखा। सचिन को टेनिस एल्बो की वजह से डॉक्टरों की सलाह पर अपने बैट का वजन कम करना पड़ा साथ ही थोड़ी बैटिंग स्टाइल में भी चेंजेस करनी पड़ी थी। सचिन ने हर बदलाव को पूरी तरह एक्सेप्ट किया।

Tip: चेंजेस के साथ खुद को एडजस्ट करते रहना किसी भी प्रोफेशन में जरूरी होता है। आपको अपनी फील्ड में चाहे जितना लम्बा एक्सपीरियंस है अगर आपने नए चेंजेस के साथ खुद को एडजस्ट नहीं किया तो किसी भी प्रोफेशन में टिके रहना चैलेंजिंग हो सकता है।

Sachin mantra for young generations

‘There will be tough times but if your foundations are strong you will be able to overcome each and every obstacle। Not always it is going to be rosy, some times there are going to be rough patches but if you are mentally tough you will be able to overcome all those obstacles। That‘s what I would want next generations to follow, not to find short cuts।

Persistence, dedication & discipline in Sachin ‘It‘s all about how you have conducted yourself। I guess there were times when things looked pretty doubtful, with injuries, starting with the back - it would have most certainly affected his career but its due to persistence, dedication, discipline and confidence that you survive for so long’।

-Sir Vivian Richards had said in an interview about Sachin.

Consistency is the key

सचिन की तरह हम और आप भी परफार्मेंस करते हैं फर्क सिर्फ इतना है कि सचिन इसे लगातार और बिना रुके हुए करते हैं। बिना इसकी परवाह किए कि दुनिया क्या कहती है, वह सिर्फ अपना काम करते रहते हैं। सचिन से यह बात सीखी जा सकती है कि कोई भी अपने काम से बड़ा नहीं हो सकता। जिस बांग्लादेश के खिलाफ उन्होंने 100वां शतक लगाया था उससे पहले उन्होंने जमकर नेट प्रैक्टिस की थी। वह महान होने के बाद भी स्टूडेंट की तरह मेहनत करते हैं।

समीर पारेख, साइकियाट्रिस्ट, नई दिल्ली