कोई तो बता दें, मेरा क्या होगा?

वेस्ट रोड एक ऐसी सड़क है, जिसके किनारे पर आधा दर्जन से अधिक स्कूल है। हजारों बच्चे इस सड़क से होकर गुजरते हैं। कैंट बोर्ड और आर्मी का ऐसा कोई अधिकारी नहीं कि जो यहां से न आता जाता हो। फिर भी इस सड़क की हालत इतनी खस्ता है कि अगर जरा सी चूक हो जाए तो जान भी जा सकती है। फिर भी इस सड़क को दोनों डिपार्टमेंट से कोई बनाने को तैयार नहीं है। एमईएस (मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस) की सड़क होने के बावजूद डिपार्टमेंट उसे बनाने को राजी नहीं हैं। वहीं कैंट बोर्ड बजट बिगडऩे की वजह से चाहते हुए नहीं बना पा रहा है।

आखिर कौन है वारिस?

पिछले काफी समय से न तो वेस्ट एंड रोड का रेनोवेशन हुआ है। न ही इसे पुन: बनाया गया है, जिसके कारण ये सवाल उठने लगा है कि इस सड़क को कौन बनाएगा? आखिर इस सड़क का वारिस कौन है? सिविल एरिया के बीचों बीच इस सड़क के होने से लोगों का मानना है कि इस सड़क का निर्माण कैंट बोर्ड को करना चाहिए, जबकि कुछ जानकारों का ये कहना है ये सड़क शुरू से ही एमईएस के नाम पर रही है तो निर्माण भी उसे ही करना चाहिए। इसे दोनों में से कोई भी ठीक करने को तैयार नहीं है।

वरना बिगड़ जाएगा बजट

वेस्ट एंड रोड चार किलोमीटर की है। जिस पर दर्जनभर खतरनाक गड्ढे हैं और कई जगहों से सड़क टूटी हुई हैं। अगर इस सड़क का पुन: निर्माण किया जाए तो 70 लाख रुपए का बजट खर्च होगा। एमईएस  इस सड़क को इसलिए ठीक करने को तैयार नहीं है, क्योंकि उनका कहना है कि आर्मी का कोई व्हीकल यहां गुजरता नहीं है। अधिकतर सिविल व्हीकल गुजरते हैं तो वो इस रोड को क्यों ठीक करें? कैंट बोर्ड के अधिकारियों की मानें तो वैसे तो ये हमारी सड़क नहीं है। अगर मानवीय दृष्टिकोण से इसका निर्माण कर भी दें तो हमारा पूरा बजट बिगड़ जाएगा। ऐसे में हमारे पहले से प्रस्तावित निर्माण और विकास कार्य मुमकिन नहीं हों पाएंगे।

ट्रांसफर के मूड में

वहीं एमईएस ने वेस्ट एंड रोड को कैंट बोर्ड को ट्रांसफर करने का मूड बना लिया है। सब एरिया और एमईएस की ओर से इस पर प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ताकि इस रोड की जिम्मेदारी कैंट बोर्ड पर आ सके। जल्द ही इस रोड को ट्रांसफर करने का प्रस्ताव कैंट बोर्ड की जनरल बोर्ड मीटिंग में आ सकता है।

कैंट बोर्ड भी हट सकता है पीछे

वहीं कैंट बोर्ड भी इस रोड को लेने से पीछे सकता है। कैंट बोर्ड सूत्रों की मानें तो एमईएस अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटते हुए इस रोड से अपना पिंड छुड़ाने की कोशिश कर रहा है। वैसे ही कैंट बोर्ड के पास फंड की काफी कमी है। कैंट बोर्ड के अंडर में आने वाली 140 सड़कों की मरम्मत का काम रुका हुआ है, जिनके लिए करीब 100 करोड़ रुपए की जरुरत होगी। ऐसे में इस सड़क की जिम्मेदारी देना सजा के बराबर है।

वार्ड मेंबर की कोई वैल्यू नहीं!

वेस्ट एंड रोड के दोनों ओर बंगला एरिया है। वो रोड एमईएस के अंडर में भी है, लेकिन कई हजार गाडिय़ां यहां से होकर गुजरती है। वहीं स्कूल होने की वजह से बच्चों की सेफ्टी का सवाल है। इसी सोच के साथ वार्ड-6 के मेंबर जगमोहन शाकाल पांच बार लेटर लिख चुके हैं। फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुई है। सवाल ये है कि क्या कैंट बोर्ड और एमईएस में वार्ड मेंबर कोई वैल्यू नहीं है?

कैंट बोर्ड करेगा पैच वर्क

कैंट बोर्ड ने वेस्ट एंड रोड के गड्ढों को भरने का आदेश दे दिया हैं। कैंट बोर्ड के सीईओ डॉ। डीएन यादव की मानें तो मानवीयता और स्टूडेंट्स की सुरक्षा की दृष्टि को देखते हुए गड्ढों को भरने का काम स्कूल खुलने से पहले कर दिया जाएगा। वैसे कैंट बोर्ड ने पांच तारीख का समय दिया है। इन गड्ढों को भरने में एक लाख रुपए खर्च आएगा।

फैक्ट्स एंड फिगर

- इस सड़क से रोजाना पांच हजार से ज्यादा व्हीकल मूव करते हैं।

- इस सड़क के किनारे आधा दर्जन स्कूल मौजूद हैं।

- इन स्कूलों में पढऩे वाले स्टूडेंट्स की संख्या करीब 20 हजार है।

- वेस्ट एंड रोड की लंबाई करीब 4 किलोमीटर है।

- इस सड़क के पुन: निर्माण में करीब 70 लाख रुपए खर्च होंगे।

- कैंट बोर्ड पैच वर्क करने में कर रहा है 1 लाख रुपए खर्च।

'कैंट बोर्ड मानवीय और स्टूडेंट्स की सुरक्षा को देखते हुए गड्ढे भरा रहे हैं। वैसे इस सड़क का निर्माण कराने की जिम्मेदारी है.'

- डॉ। डीएन यादव, सीईओ, कैंट बोर्ड

'हम इस सड़क को कैंट बोर्ड को ट्रांसफर करने का प्रस्ताव बना रहे हैं। ये सड़क सिविल एरिया में हैं। एमईएस और आर्मी इसका ज्यादा इस्तेमाल भी नहीं करते हैं.'

- राकेश मीणा, जीई साउथ, एमईएस

'मैं इस सड़क को पुन: बनाने के लिए कई बार कह चुका हूं, लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिल रहा है। इस सड़क से सुबह शाम हजारों बच्चों के अलावा कई टू व्हीलर और फोर व्हीलर्स भी गुजरते हैं। क्या बिना धरना प्रदर्शन किए कोई काम शांतिपूर्वक नहीं हो सकता है.'

- जगमोहन शाकाल, कैंट बोर्ड मेंबर, वार्ड-6