-छतों पर झूल रही है बिजली की हाईटेंशन लाइंस

-हादसों को सबब देती है यह हाईटेंशन लाइंस

DEHRADUN: घर के चिराग दीपक को परिजनों ने दून हायर एजुकेशन के लिए भेजा था। सोचा था कि वह पढ़ लिखकर नाम कमाएगा और उनके बुढ़ापे का सहारा बनेगा, लेकिन विद्युत विभाग की लापरवाही ने उनके सारे सपने चूर कर दिए। हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से दीपक बुरी तरह झुलस गया। उसका कुसूर सिर्फ इतना था कि वह अपने परिजनों से फोन पर बात करने के लिए छत पर चला गया। अब कॉरोनेशन अस्पताल में दीपक जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है। क्या दीपक को खुली हवा में बात करने का हक नहीं था। आखिर इसके पीछे कौन जिम्मेदार है। ऐसे ही तमाम सवाल दीपक के परिजनों और सभी राजधानी के लोगों के मन में कौंध रहे हैं।

हाईटेंशन लाइंस से खतरा

यह सिर्फ दीपक की बात नहीं बल्कि राजधानी के उन तमाम घरों की हैं जहां हाईटेंशन लाइन के तार मौत की तरह झूल रहे हैं। उन तमाम घरों के दीपक को इन कालरूपी हाईटेंशन लाइंस से खतरा है। कब यह घटना दोबारा हो जाएं। इस बात की कोई गारंटी नहीं है। राजधानी के तमाम एरिया में टीम आई नेक्स्ट ने थर्सडे को आइडेंटिफाई किया, जहां आज भी हाईटेंशन लाइन्स साक्षात यमराज के रूप में घरों के ऊपर से होकर गुजर रही है। इनमें प्रमुख रूप से राजधानी में नारायण विहार,विद्या विहार,देव ऋषि एन्क्लेव,देहराखास,ब्रह्मपुरी,बंजरावाला, गणेश विहार,सरस्वती विहार,संजय कॉलोनी, नेहरू कॉलोनी, गोविंदगढ़, ब्रह्म्णवाला, नालापानी, रायपुर, रेस कोर्स आदि एरिया शामिल हैं।

आखिर कहां करें शिकायत

इस प्रकार से जब लोगों को हाईटेंशन लाइन के चपेट में आने से जानमाल का नुकसान उठाना पड़ता है। तो आखिर वह किसे इसका जिम्मेदार ठहराये.और कहां इसकी शिकायत करें। किसके खिलाफ एफआईआर लिखाए। ऐसे ही तमाम सवाल लोगों के मन में चलते हैं। आखिर किसके आगे वे इंसाफ की गुहार लगाएं।

कोचिंग इंस्टिट्यूट में कोचिंग कर रहे थे

दरअसल पिथौरागढ़ निवासी नवीन सिंह और दीपक चंद अभी कुछ ही दिन पहले देहरादून हायर एजूकेशन के लिए आए थे। गांव से बड़ी उम्मीद और सपने संजोए उन्होंने द्रोण नगरी में कदम रखे। नारायण विहार में किराए का कमरा लेकर रह रहे थे और वहीं पास स्थित एक कोचिंग इंस्टिट्यूट में कोचिंग कर रहे थे। कॉरोनेशन मे भर्ती नवीन सिंह के अनुसार वह और दीपक शाम को करीब म् बजे घर की छत पर खड़े थे। तभी अचानक से छत के ऊपर से गुजर रही हाईटेंशन लाइन ने उन दोनों को अपने आगोस में लेकर जोर का झटका देकर जमीन पर पटक दिया। नवीन ने बताया इसके बाद उन्हें खुद की सुदबुद भी नहीं रही। जब होश आया तो वह हॉस्पिटल में थे। नवीन ने बताया कि वह भ्0 प्रसेंट जल चुका है, लेकिन डॉक्टर्स अब खतरे से बाहर बता रहे हैं, लेकिन उसका दोस्त दीपक बुरी तरह झुलस गया जिसे डॉक्टर्स ने दिल्ली रेफर कर दिया।

लाइन हटाने के लिए मांगते हैं पैसा

लोगों का आरोप है कि जब भी घरों के ऊपर से हाई टेंशन की लाइन हटाने की बात विद्युत निगम के आलाधिकारियों और कर्मचारियों से करते हैं। वे लाइन हटाने के नाम पर पैसा जमा करने की बात करते हैं। ऐसे में पैसे वाले लोग तो इस मौतरूपी हाईटेंशन लाइन को दूसरी जगह सिफ्ट करवा देते हैं लेकिन जिनके पास देने के लिए पैंसा नहीं होता वह इसी तरह हादसों का शिकार होते हैं।

क्या कहना है लोगों का

एरिया में काफी घरों के ऊपर हाईटेंशन लाइन गुजर रही है। जो कभी भी हादसे का सबब बन सकती है।

-रोहित,देवऋषि एन्क्लेव

आज सुविधाएं सिर्फ पैसे वाले लोगों के लिए है। क्योंकि आम पब्लिक की सुरक्षा की फिक्र कोई नहीं करता है।

-सालिक राम, ब्रह्म्णवाला

गोविंदगढ़ में भी कई घर ऐसे हैं जहां हाईटेंशन की लाइंस से लोग परेशान है। कई बार बिजली कर्मचारियों से शिकायत भी करते हैं लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकलता है।

-इंद्रेश, गोविंदगढ़

कई बार लोग इस हाईटेंशन लाइन की चपेट में आ चुके हैं, लेकिन बिजली कर्मचारी तब भी नहीं जागते हैं।

- केशव, बंजरावाला

ऐसा नहीं है कि लोग शिकायत नहीं करते हैं,लेकिन उन पर आज तक अमल नहीं होता है।

-शाहिद, नेहरू कॉलोनी

हमारे एरिया में तो प्रत्येक दो घर छोड़कर तीसरे घर के ऊपर से हाईटेंशन लाइन गुजर रही है। बरसात के समय करंट लगने का ज्यादा खतरा होता है।

-मनोज उनियाल, देहराखास

हाईटेंशन लाइन्स काफी डेंजरस है.एक बार चपेट में आ गया तो बचना मुश्किल होता है। लोगों के साथ क्षेत्र के जन प्रतिनिधि भी शिकायत करते हैं.लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं होती है। -अरुण खन्ना, पाषर्द,रेसकार्स ऐरिया

जिन घरों में हाईटेंशन लाइंस गुजरती हैं। उन्हें लाइन दूसरी जगह सिफ्ट कराने के लिए बकायदा पैसें चुकाने पड़ते हैं। - राजेश्वर उनियाल

वर्जन-

यूपीसीएल इसके लिए जिम्मेदार नहीं है। लाइन पहले से बिछी हुई हैं। लोगो के घर अब बन रहे हैं। इसमें एमडीडीए को ऐसे जमीन के नक्शे पास नहीं करने चाहिए.जिनके ऊपर हाईटेंशन लाइन गुजर रही है। नक्शा पास करने के भी मानक है.लेकिन लोग मानकों की अनदेखी कर रहे हैं। एक मंजिल की परमिशन पर दो से तीन मंजिल अपना मकान बना रहे हैं। आबादी वाले क्षेत्रों से हाइटेंशन लाइन हटाना आसान नहीं है.क्योंकि खाली जमीन कहीं नहीं है जहां लाइन को सिफ्ट कराया जाए। क्योंकि जहां सिफ्ट करेंगे वहां भी तो आबादी होगी। सिफ्ट करने में भी काफी बजट की जरुरत होती है। इसके लिए फंडिंग के लिए प्रोपर इस्टीमेट तैयार करना पड़ता है। जिसमें कस्टमर,स्टेट और एमएलए या एमपी के फंड का शेयर शामिल होता है।

-मधुसूदन इशर, प्रवक्ता यूपीसीएल