- कार्यक्रम में भगवानदास मोरवाल के द्वारा लिखी सुर बंजारन पुस्तक का हुआ विमोचन

>BAREILLY

हिन्दी साहित्य का समागम संडे को बरेली लिटरेचर फेस्टिवल में देखा गया। हिंदी साहित्य के उत्थान व सिमटते दायरे से चितिंत कार्यक्रम में मौजूद साहित्यकारों ने अपने भाव व्यक्त किए, जिसमें सोशल मीडिया से साहित्य का दायरा बढ़ाने की बात साहित्यकारों ने कही। कार्यक्रम में भगवानदास मोरवाल की लिखी पुस्तक सुर बंजारन का विमोचन किया। मुख्य अतिथि कमिश्नर पीवी जगन मोहन ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इस दौरान उन्होने कहा कि हिंदी देश की मातृ भाषा है। हिन्दी के सिमटते खांचे को बचने के लिए हर छोटे और बड़े शहरों में ऐसे आयोजन का होना गौरव की बात है।

रचनाकार को सहारे की जरूरत नहीं

लेखिका नीलिमा चौहार ने कहा कि डिजिटल जगत में तकनीकी मंच ने सबसे ज्यादा फायदा साहित्य में रूचि रखने वालों को मिली है। डिजिटल पद्धति ने साहित्य के प्रचार को सरल बना दिया है। सोशल मीडिया पर पाठकों ने अपनी रूचि जतानी शुरू कर दी है। हिंदी के गिरते स्तर पर तंज मारते हुए कहा कि साहित्य के उत्थान में पाठक से बड़ा कोई नहीं होता है। रचनाकार को किसी सहारे की जरूरत नहीं होती । सिर्फ विमर्श की आवश्यकता होती है। हिंदी को सरल शब्दों में जोडने की जरूरत है। जिसके लेखक के भाव समझने में लोगों समस्या न हो।

पुस्तक का किया विमोचन

मुख्य अतिथि पीवी जगनमोहन ने भगवानदास मोरवाल द्वारा लिखी पुस्तक सुर बंजारन का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में शामिल साहित्यकार संजय कुंदन ने कहा कि चर्चा के नाम पर सिर्फ प्रायोजित लेख लिखे जा रहे है। विलुप्त हो रही साहित्य कला में प्रयोजित कार्य सहायक सिद्ध हो रहे है। उन्होने बताया कि गंभीर आलोचना और टिप्पणियों की खास वजह से विमर्श कमजोर हो चुका है। बिना विमर्श के साहित्य अधूरा है। इस मौके पर जेसी पालीवाल, प्रेम भारद्वाज, गीताश्री, सुकेश साहनी, वंदना राग, आलोक श्रीवास्तव सहित अन्य लोग मौजूद रहे।