पनेट्टा ने 'टाइम' पत्रिका को बताया है कि इस अभियान को शुरू करने से महीनों पहले अमेरिका ने इस मुद्दे पर विचार किया था कि हमले में अन्य देशों, विशेषकर पाकिस्तान के साथ कॉलिएशन स्थापित किया जाए, लेकिन सीआईए ने शुरुआत में ही पाकिस्तान को अभियान में शामिल करने की बात खारिज कर दी थी, क्योंकि उसे लगा था कि पाकिस्तान के साथ काम करने की कोई भी कोशिश अभियान को विफल कर सकती है.

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पनेट्टा ने कहा कि अमेरिका ने बी-2 बमवर्षकों से बमबारी करने पर या सीधे तौर पर क्रूज मिसाइल दागने पर भी विचार किया था, लेकिन उन विकल्पों को भी खारिज कर दिया गया, क्योंकि इससे बहुत अधिक नुकसान की सम्भावना थी.

क्रूज मिसाइल दागे जाने के विकल्प पर पिछले गुरुवार तक विचार किया गया था और सीआईए व व्हाइट हाउस ने इस पर पूरी माथापच्ची की थी कि यह मिशन कितना जोखिम भरा हो सकता है. अभियान के लिए और खुफिया जानकारी का इंतजार करना भी एक विकल्प था.

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पनेट्टा ने पाकिस्तान के एबटाबाद में संदिग्ध ओसामा बिन लादेन के परिसर के बारे में खुफिया जानकारी की विश्वसनीयता का आकलन करने के लिए मंगलवार को 15 सहयोगियों की बैठक बुलाई थी.
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पनेट्टा ने बैठक में कहा, "यदि आप वहां जाते हैं और मुठभेड़ शुरू हो जाती है और उसके बाद पाकिस्तानी जवाबी कार्रवाई शुरू कर देते हैं तो क्या होगा?" पनेट्टा ने कहा कि कुछ सहयोगी चिंतित हो गए. पनेट्टा ने फिर पूछा, "आप अपनी लड़ाई कैसे लड़ पाएंगे?" लेकिन पनेट्टा ने अंत में निष्कर्ष निकाला कि हमले का जोखिम उठाया जा सकता है, क्योंकि सबूत काफी पुख्ता है और उन्होंने राष्ट्रपति बराक ओबामा को यह बात बता दी.

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