ईशानगर पुलिस थाने में विराजते हैं श्री राम

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के ईशानगर पुलिस थाने में पिछले 25 साल से भगवान श्रीराम का राज कायम है। यहां पर फरियादी की फरियाद थाना प्रभारी नहीं, बल्कि भगवान खुद सुनते हैं। यहां पर एफआईआर भगवान के दरबार में अर्जी लगाने के बाद ही लिखी जाती है। थाना में तैनात पुलिस अमला अपने आप को भगवान का सेवक बताकर अपनी ड्यूटी करते हैं। भगवान के दरबार में जाकर अनुमति लेने के बाद ही इस थाने में रिपोर्ट लिखी जाती है। शिकायतकर्ता को पहले प्रभु राम के आगे पेश किया जाता है। जिसके बाद पुलिस प्रशासन उसकी सुनवाई करता है।

प्रभु श्री राम की आरती से होती है दिन की शुरुआत

यहां हर काम की शुरूआत भगवान राम की सेवा से होती है। सूर्य की पहली किरण के साथ भगवान राम की आरती उतारी जाती है। जिसमे सभी पुलिसकर्मियों का शामिल होना अनिवार्य है। आरती और पूजा के बाद भगवान श्रीराम को सलामी दी जाती है। दर्शनों के बाद थाने का रोजनामचा खुलता है। मान्यता है कि कोई पुलिसकर्मी या अधिकारी सबसे पहले कोतवाल के दर्शन करता है।

इस गांव में हैं कई कहानियां प्रचलित

ईशानगर गांव के राम जानकी मंदिर से कई साल पहले चोर भगवान को चुराकर ले गए थे। कुछ दूर जाने के बाद इस मूर्ति इतनी का वजन इतना बढ़ गया कि चोर इन्हें उठा तक नहीं पाए। पुलिस ने इन्हें उस स्थान से बरामद कर थाना के मालखाने में रख दिया। जब मामले का निस्तारण हुआ तो अदालत ने इन मूर्तियों को मंदिर में स्थापित करने का आदेश सुनाया। तभी से भगवान का यह दरबार थाने के मालखाने में लगा हुआ है। थाने में श्रीराम बिराजमान हैं इसलिए यहां चप्पल पहनना, गुटखा-तंबाकू खाना, शराब का सेवन करना और गाली-गलौच करने पर पाबंदी है।

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