कैग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

जीएमवीएन ने राजस्व को पहुंचाया नुकसान

सही से भंडारण नहीं करने से 75 से 80 प्रतिशत सेब सड़ गए

DEHRADUN:

आमतौर पर गढ़वाल मंडल विकास निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों की शिकायत रहती है कि उनके पास कोई ढंग का काम नहीं होता, जिससे कर्मचारी अक्सर बिना काम के रहते हैं। लेकिन यदि इन्हें कोई काम दिया जाए तो उसमें किस तरह से लापरवाही बरती जाती है, यह बात कैग की रिपोर्ट में स्पष्ट होती है। रिपोर्ट के अनुसार जीएमसवीएन को ख्0क्फ् में सेब खरीदने का काम दिया गया था, लेकिन इस काम में इतनी लापरवाही बरती गई कि खरीदे गये ज्यादातर सेब सड़ गये और सरकार को भ्.फ्ब् करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

क्या था मामला

जून ख्0क्फ् में आई आपदा के बाद बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत जीएमवीएन को आपदा प्रभावित क्षेत्रों के किसानों से सेब खरीदने का निर्देश दिया गया था। इसके लिए फ्000 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया था, जबकि ख्भ् प्रतिशत हैंडलिंग चार्जेज के रूप में दिया जाना था। निगम ने अगस्त के तीसरे और चौथे सप्ताह में क्म्,0क्भ्.ब्ब् क्विंटल सेब खरीदा। लेकिन न तो उचित भंडारण की व्यवस्था की और न ही सेब समय पर बेचने के लिए उचित कदम उठाये।

खरीददारों ने लगाई कम बोली

निगम ने अगस्त के तीसरे और चौथे हफ्ते में सेब खरीदे थे, लेकिन इन्हें बेचने की कोशिश सितम्बर के तीसरे हफ्ते में शुरू की गई। उस समय तक सेब काफी खराब हो चुके थे, ऐसे में बोलीदाताओं ने मात्र ब्,म्फ्7.भ्0 क्विंटल ठीक रह गये सेब ही खरीदे, वह भी क्ब्00 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से। बाकी बच गये सेब बेचने के लिए निगम ने तीन हफ्ते बाद एक कमेटी गठित की। समिति ने ख्7 अक्टूबर को अपनी रिपोर्ट दी और कहा कि सेब दो महीने से ज्यादा समय खुले मे पड़े हुए हैं ऐसे 7भ् से 80 प्रतिशत सेब सड़ चु़के हैं। ऐसी स्थिति में जिन जगहों पर ये सेब रखे गये हैं, वहां बीमारियां फैल सकती हैं, इसलिए सेबों को तुरन्त निस्तारण किया जाए। इसके बाद नवम्बर में क्क्,फ्77.9ब् क्विंटल सेब निस्तारित किये गये।

यहां किया गया था भंडारण

सेब बहुत जल्दी खराब होने वाला फल है, लिहाजा इसे तुरन्त बेचने अथवा वैज्ञानिक तरीके से भंडारण किये जाने की जरूरत होती है, लेकिन जीएमवीएन ने ये सेब स्वास्थ विभाग के कमरों, किसानों के घरों, स्कूलों, होटलों आदि में छोटे कमरों ने रखे, जिससे ये जल्दी खराब हो गये। इसके अलावा सेब अगस्त महीने के तीसरे और चौथे हफ्ते में खरीदे गये थे, जबकि बेचने के लिए टेंडर तीन हफ्ते बाद क्7 सितम्बर को मांगी गई। वह भी तब जब निगम के उत्तरकाशी के क्षेत्रीय प्रबंधक ने सूचना दी कि सेब सड़ने लगे हैं।

ऐसे हुआ नुकसान

निगम ने कुल ब्.80 करोड़ रुपये के सेब खरीदे थे और ख्भ् प्रतिशत हैंडलिंग चार्जेज के रूप में भी दिये थे। सितम्बर तीसरे हफ्ते में बोली लगाकर मात्र म्भ् लाख के सेब ही बिक पाये, जबकि बुरी तरह सड़ जाने के बाद नवम्बर में बाकी सेब म्0 हजार रुपये में निस्तारित किये गये।

निगम ने नहीं दिया संतोषजनक जवाब

इस संबंध में जीएमवीएन ने कहा था कि बिना पर्याप्त समय दिये निगम को सेब खरीदने का काम सौंपा गया था, जिससे यह स्थिति पैदा हुई। कैग इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ और पूछा कि यह जानते हुए भी सेब जल्दी खराब हो जाएगा तो उसे जल्दी बेचने अथवा उचित भंडारण की व्यवस्था क्यों नहीं हुई। कैग के अनुसार दिसम्बर ख्0क्म् तक निगम ने इसका जवाब नहीं दिया था।