- रेगुलेटरी सरचार्ज, फिक्स चार्ज समाप्त करने के लिए आयोग में याचिका

-फिक्स चार्ज समाप्त होने से उपभोक्ताओं को मिलेगी राहत

LUCKNOW: बिजली विभाग के करोड़ों के घाटे की भरपाई उदय स्कीम से की जा रही है। फिर भी उपभोक्ताओं से रेगुलेटरी सरचार्ज के नाम पर वसूली जारी है। घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को राहत दिलाने के लिए उप्र राज्य विद्युत परिषद ने मंडे को विद्युत नियामक आयोग में एक जनहित याचिका दाखिल की है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने जनहित प्रत्यावेदन में फिक्स चार्ज और 4.28 परसेंट रेगुलेटरी सरचार्ज को समाप्त करने की मांग की है।

पहले भी दाखिल किया था प्रत्यावेदन

विश्व ऊर्जा काउंसिल के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग के अध्यक्ष देश दीपक वर्मा से मुलाकात कर प्रत्यावेदन दाखिल किया। उन्होंने बताया कि पहले भी उपभोक्ता परिषद के प्रत्यावेदन पर रेगुलेटरी सरचार्ज 4.28 के मामले में पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष से रिपोर्ट तलब की गई, लेकिन आज तक जवाब दाखिल नहीं किया गया। जिसके कारण रेगुलेटरी सरचार्ज समाप्त नहीं किया जा सका। ऐसे ही घरेलू बिजली उपभोक्ताओं पर लगने वाले फिक्स चार्ज पर भी दोबारा प्रत्यावेदन दाखिल किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि उदय स्कीम लागू होने से सरकार 75 परसेंट तक के घाटे की भरपाई कर रही है तो रेगुलेटरी सरचार्ज की वसूली क्यों की जा रही हैं। इसका नुकसान उपभोक्ताओं को ही उठाना पड़ रहा है। मामले में देश दीपक वर्मा ने सभी मुद्दों पर कारपोरेशन से रिपोर्ट तलब करने का अश्वासन दिया है। कारपोरेशन ने जवाब न दिया तो आयेाग अपना फैसला उपभोक्ताओं के हित में देगा।

रेगुलेटरी सरचार्ज का कोई मतलब नहीं

आयोग ने अपने टैरिफ आदेश में वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए उदय योजना में प्रस्तावित हानियों को आधार बनाया गया था, लेकिन मामले में उपभोक्ताओं को मिलने वाले फायदे पर गौर नहीं किया गया। बिजली कंपनियों का उदय योजना के तहत कुल घाटा 70738 करोड़ रुपए है जिसमें 53211 करोड़ बैंकों का लोन है। जिसका 75 प्रतिशत 39,908 करोड़ राज्य सरकार को वहन करना है। ऐसे में घाटे के एवज में 2007-08 के बाद जो रेगुलेटरी सरचार्ज 4.28 प्रतिशत उपभोक्ताओं से वसूला जा रहा है। जबकि घाटे की भरपाई राज्य सरकार कर रही है तो ऐसे में घाटे के एवज में रेगुलेटरी सरचार्ज का कोई मतलब नहीं है।