- पूरे साल मीना मंच चलाए जाने का दावा, रेडियो किसी के पास नहीं

- पीएम के भाषण पर भी रेडियो का किसी तरह किया गया था जुगाड़

- रखरखाव के पांच हजार में से एक हजार रुपए रेडियो के लिए आए थे

Meerut: बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में मीना दीदी की कहानियां जैसे गुम सी हो गई हैं। मीना मंच का गठन करने के साथ सभी स्कूलों में रेडियो खरीदने के आदेश दिए गए थे। आज हालत ये है कि पीएम मोदी की पाठशाला को सुनने के लिए रेडियो का इंतजाम करने में स्कूलों के हाथ-पांव फूल गए थे। स्कूलों में रेडियो की व्यवस्था के लिए गांव के लोगों से सहायता ली गई थी। ऐसे में बेसिक स्कूलों पर सवाल खड़ा होता है, मीना मंच के प्रोग्राम के लिए रेडियो कहां से आएगी? खरीदी गई थी तो मोदी के भाषण पर क्यों नहीं निकलीं?

यह है सीन

जिले में ब्फ्ख् जूनियर स्कूल और 9क्0 प्राइमरी स्कूल हैं। इसके साथ ही नगर क्षेत्र की बात करें तो प्राइमरी और जूनियर मिलाकर क्म्0 स्कूल हैं। इन सभी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करने को शासन से मीना मंच प्रोग्राम शुरू किया गया था। जो पिछले काफी समय से कागजों में चलाया जा रहा है। बाकायदा इसके लिए मंच का गठन भी हुआ है। वहीं स्कूल में रखरखाव के लिए मिलने वाले पांच हजार रुपए में से पिछले साल एक रेडियो भी खरीदने के निर्देश दिए गए थे।

आखिर रेडियो कहा गई

बीएसए जीवेंद्र सिंह ऐरी की मानें तो सभी स्कूलों में रखरखाव के लिए सरकार से मिले पांच हजार रुपए में से एक हजार रुपए रेडियो के लिए दिए गए थे। सभी को रेडियो खरीदकर मीना दीदी की कहानियां बच्चों को सुनाई जानी थी। इसके साथ ही एक कमरा स्पेशली मीना मंच के प्रोग्राम के लिए होना था। लेकिन यहां कई स्कूलों की हालत देखें तो मोदी की पाठशाला के लिए स्कूलों में रेडियो ही नहीं मिली थीं। ऐसे में मीना मंच के प्रोग्राम को सुनने के लिए रेडियो कहां से आएगी। कई स्कूलों से बातचीत की गई तो उन्होंने रेडियो खरीदे जाने के बारे में जानकारी मना कर दिया।

एफएम सुना तो कार्रवाई

मीना दीदी की कहानियों को स्कूलों में मंचन करके बच्चों को दिखाया जाता था। लेकिन पिछले साल से इन कहानियों को रेडियो पर प्रसारित कर बच्चों को सुनाने के आदेश हैं। इसके लिए हाल में आए शासनादेश के चलते सभी स्कूलों में बच्चों को रेडियो पर मीना मंच की कहानियां सुनानी हैं। इसके साथ ही सख्त निर्देश भी दिए गए हैं कि बच्चों को इस प्रोग्राम के अलावा किसी टीचर ने एफएम चलाकर गाने सुने तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। इसके साथ ही जहां रेडियो नहीं है वहां रेडियो खरीदने के सख्त निर्देश हैं।

वर्जन

यह प्रोग्राम तो पिछले साल से चला आ रहा है। पूरे साल यह चलता है। रखरखाव के लिए दिए गए पांच हजार रुपए में से एक हजार रेडियो के लिए दिए गए थे। इसके साथ ही स्कूल में मीना मंच के लिए एक अलग से कमरा भी होता है।

- जीवेंद्र सिंह ऐरी, बीएसए मेरठ