दरअसल ये किस्सा है अमरीका का .यहां कॉलेज में पढ़ने वाले एक छात्र को उसकी प्रेमिका ने वर्ष 1958 में एक प्रेम-पत्र लिखा था। ये प्रेमिका बाद में उनकी पत्नी बन गई थी। इस पत्र पर क्लार्क सी मूर के नाम से पता लिखा गया था। लेकिन मूर ने अपना नाम बदलकर मोहम्मद सिद्दीक रख लिया था। जिसकी वज़ह से उनका पता नहीं चल पा रहा था।

अचंभित

ये पत्र पेनसिलवेनिया यूनिवर्सिटी के डाकखाने में इसी हफ़्ते पाया गया है। सिद्दीक के एक मित्र ने इस चिट्ठी के बारे में एक टीवी रिपोर्ट के ज़रिए जाना और जब सिद्दीक को इस पत्र के बारे में बताया गया तो उनका कहना था, कि वह ये प्रेम पत्र पढ़ने के लिए अभी भी आतुर है।

अब सिद्दीक की उम्र 74 साल की है और उनका तलाक़ हो चुका है। ये पत्र बेहद ही रहस्मय तरीके से 10 साल पहले केलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेनसिलवेनिया में आया था। दो पन्नों के इस पत्र पर 20 फरवरी 1958 की मोहर लगी हुई थी और इस पर "लव फॉरएवर वोनी "नाम से हस्ताक्षर था।

सिद्दीक अब एक सेवानिवृत शिक्षक है और वह इंडियनापोलिस के एक शहर में रह रहे है। जब उनसे इस पत्र के बारे में बताया गया तो वह आश्चर्य चकित हो गए।

एक अमरीकी टीवी को उन्होंने कहा, " अमरीका में एक प्रणाली है, अगर आप के नाम पर कोई चीज़ होती है और अगर उन्हें मिल जाती है तो वह आप तक पहुंचा देते है। ये बहुत ही ख़ुबसूरत चीज़ है "

साक्षी

सिद्दीक का कहना था कि वह और उनकी प्रेमिका एक दूसरे को प्रेम-पत्र लिखा करते थे। वह उस समय विज्ञान की पढ़ाई कर रहे थे। इसके बाद उनकी शादी हो गई और उनके चार बच्चे है। लेकिन बाद में जाकर अपनी प्रेमिका बनी पत्नी से उनका तलाक़ हो गया था।

उनका कहना था उस समय रोमांस अलग तरह का होता था.उस ज़माने में कंप्यूटर तो होता नहीं था तो ऐसे में केवल चिट्ठी पत्री से ही दिल की बात कही जाती थी और मेरा अब भी मानना है कि ईमेल से हाथ लिखी चिट्ठिया अभी भी रोमांटिक होती है।

सिद्दीक का कहना है हालांकि उनका वोनी के साथ तलाक़ हो गया है लेकिन इस चिट्ठी को देखकर मिलीजुली भावनाएं उमड़ रही है लेकिन उन्होंने वांशिगटन ऑब्ज़र्वर अख़बार के एक रिपोर्टर को कहा कि वह इस प्रेम-पत्र को पढ़ने के लिए इच्छुक है क्योंकि यह रूचि, मासूमियत और सच्चाई के समय का साक्षी है

यूनिवर्सिटी अधिकारियों ने इस पत्र के साथ उन्हें एक टी-शर्ट भी भेजी है।

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