- रंगकर्मियों ने नाटकों से सामाजिक मुददों पर की चोट

- शहर में बढ़ती ट्रैफिक समस्या को दृशाया

LUCKNOW : राजधानी में बुधवार की शाम विभिन्न नाटकों के नाम रही। रंगकर्मियों ने महिला विरोधी मानसिकता, महिलाओं के रंग रूप पर उठने वाले सवाल व टै्रफिक की समस्या पर नाटक प्रस्तुत कर उनकी पीड़ा को मंच पर दर्शाया। भारतेंदु नाट्य अकादमी में दीक्षांत के अंतर्गत हो रहे नाट्य समारोह में दो नाटक 'सज्जदा व यूजीन ओ नील शो' का मंचन किया गया। वहीं बली में रंग महोत्सव के अंतर्गत नाटक 'मिर्जा की बाइसिकल' का मंचन किया गया।

ध्वस्त ट्रैफिक व्यवस्था पर की चोट

'मिर्जा की बाइसिकल' नाटक में मिर्जा व लड्डन दो मित्र होते हैं। काफी समय से मुलाकात न होने पर मिर्जा साहब लड्डन से मिलने चल देते हैं, लेकिन रास्ते में जाम होने की वजह उसमें फंस जाते हैं। इस पर मिर्जा उनको को अपनी साइकिल दे देते हैं, लेकिन ट्रैफिक होने की वजह से वह फिर जाम में फंस जाते हैं। लोग उन्हें साइकिल पर चलने पर ताने मारते हैं। अंत में वह परेशान होकर साइकिल के दो टूकड़े करके नदी में फेंक देते हैं। इसी से नाटक का अंत हो जाता है।

ऑनर किलिंग के खिलाफ उठाई आवाज

अनानेमस थियेटर ग्रुप के कलाकारों ने अपने नाटक 'सजदा' के जरिये ऑनर किलिंग व महिलाओं के प्रति लोगों के नजरिए को दृशाया। नाटक में कलाकारों ने तीन प्रेम कहानियों को एक साथ पेश किया। जिसमें पहली हीर रांझा, मिर्जा साहिबा, सस्सी पुन्नी की तकलीफ देने वाली कहानियों को बताया। इस नाटक की खास बात ये रही की इसमें पंजाबी फोक संगीत का प्रयोग किया गया। नाटक में ऑनर किलिंग के मुद्दे को उठाया गया।

महिलाओं की स्थिति को दर्शाया

नाटक में द वेब समाज के ऐसे ताने बाने को प्रस्तुत करता है, जो औरत को अपने ही हालात के जाल में जकड़ कर मजबूर कर देता है कि वे समाज के सफेद वस्त्रधारी पुरुष वर्ग की इच्छा के अनुरूप चलें। दूसरे एकांकी प्रेकलेसनेस में फिर से नैतिकता का सवाल उठाया गया है। इसमें विवाह के अतिरिक्त प्रेम के प्रश्न को उठाया गया है। तीसरे नाटक एबॉर्शन में ओनील के नाटकीय मुहावरे को भारतीय भाषा में प्रस्तुत करने के साथ ही पात्रों की सज्जा एवं सेट को उसी काल में दिखाने की कोशिश की गई। नाटक में दिव्या, समरजीत, नज्मी अख्तर, राहुल आदि ने अभिनय किया।