- मेरठ बार एसोसिएशन में अब तक नहीं महिला अध्यक्ष

- 1887 में बार एसोसिएशन में महिलाओं की भागीदारी कम क्यों

- 29 मई को है मेरठ बार एसोसिएशन चुनाव

- इस बार भी नहीं है अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार

<- मेरठ बार एसोसिएशन में अब तक नहीं महिला अध्यक्ष

- क्887 में बार एसोसिएशन में महिलाओं की भागीदारी कम क्यों

- ख्9 मई को है मेरठ बार एसोसिएशन चुनाव

- इस बार भी नहीं है अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार

MEERUT: MEERUT: महिला सशक्तिकरण की बात भले ही हम करते हों। हर क्षेत्र में महिलाओं का परचम लहराने की बाते भी बहुत होती हो, लेकिन कानून के क्षेत्र से अभी भी आधी आबादी दूर ही नजर आती है। मेरठ बार एसोसिएशन की बात करें तो मेरठ में अभी तक एक भी महिला अध्यक्ष नहीं बन पाई है। अब आंकड़े तो यही साबित करते हैं कि महिलाएं वकालत के क्षेत्र से कोसों दूर हैं।

अब तक नहीं महिला अध्यक्ष

मेरठ बार एसोसिएशन की शुरुआत सन क्887 में हुई थी। क्887 से ख्0क्ब् तक एक भी महिला ऐसी नहीं है, जिसने अध्यक्ष पद हासिल किया हो, हालांकि ख्007 में सुमन गुप्ता ने अध्यक्ष पद के लिए चुनाव तो लड़ा, लेकिन जीत दर्ज नहीं कर सकीं। इसके बाद और पहले से अभी तक मेरठ बार एसोसिएशन अध्यक्ष पद के लिए कोई भी महिला अब तक सामने नहीं आई है।

उपाध्यक्ष पद पर भी एक ही महिला

मेरठ बार एसोसिएशन में उपाध्यक्ष पद के लिए भी अभी तक केवल एक ही महिला आई है। ख्00भ्-0म् में निर्मल गुप्ता ही बस एक बार उपाध्यक्ष बनी। उसके पहले और बाद तक अब तक कोई महिला उपाध्यक्ष नहीं बन पाई है और इस बार फिर से निर्मल गुप्ता ही बार चुनाव में उपाध्यक्ष पद के लिए खड़ी हुई हैं।

ब्9म् ही महिला वकील

मेरठ बार एसोसिएशन के आंकडे़ ही महिलाओं की नाममात्र की भागेदारी की सच्चाई खोल रहे हैं। मेरठ बार एसोसिएशन को बने क्ख्7 साल हो चुकेहैं। एसोसिएशन में पांच हजार वकील रजिस्टर्ड हैं, जिनमें मात्र ब्9म् महिला अधिवक्ता ही रजिस्टर्ड हैं।

नहीं है महिला अध्यक्ष उम्मीदवार

ख्9 मई को होने वाले मेरठ बार एसोसिएशन चुनाव के लिए कोई भी महिला अध्यक्ष उम्मीदवार नहीं है। हालांकि उपाध्यक्ष पद और अन्य पद के लिए तो कुछ महिलाएं हैं, लेकिन अध्यक्ष पद पर कोई भी नहीं है।

महिलाओं की मांग है अलग चेंबर

इस बार इलेक्शन के लिए महिला वकील भी अपनी सुरक्षा से लेकर अपने लिए अलग से चेंबर बनाने का एजेंडा लेकर चल रही हैं। सीनियर एडवोकेट रंजन नेगी ने बताया कि महिलाओं के लिए बार में अलग से चेंबर होना चाहिये। महिलाएओं के लिए वॉश रूम और आर्थिक मदद की भी मांग है। वहीं सीनियर एडवोकेट शशि प्रभा ने बताया कि महिलाओं के लिए बार में अलग से चेंबर होना जरूरी है। महिलाओं की सेफ्टी भी चुनाव का बड़ा मुद्दा रहेगा।

भ्म् साल से कर रहा हूं वकालत

पिछले भ्म् साल से मैं वकालत कर रहा हूं। क्9भ्8 से ही रेगुलर प्रैक्टिस में रहा हूं, लेकिन महिलाओं की भागेदारी कम ही देखी है। पहले तो महिला वकील होती ही नहीं थीं, कुछ सालों से लड़कियां आई भी हैं तो वो जज बनना या फिर प्रैक्टिस के बाद शादी करना बेहतर समझती हैं।

चौधरी कृपाल सिंह, डीजीसी रिटायर्ड

ऐसा नहीं है, अब महिलाएं अवेयर हुई हैं और वे भी इस पेशे से जुड़ने लगी हैं। महिलाओं में अवेयरनेस बढ़ी है। महिलाएं अब प्रैक्टिस में आने लगी हैं।

सिद्धार्थ सिंह, सीनियर एडवोकेट

मेरठ बार एसोसिएशन में क्97म् से प्रैक्टिस कर रहा हूं, महिलाएं अक्सर बैकिंग, टीचिंग के क्षेत्र को ही बेहतर मानती हैं, वकालत को प्रिफर नहीं करतीं। यह केवल मेरठ का ही नहीं पूरे देश का यही हाल है, इसका मेन रीजन कि महिलाओं को इस क्षेत्र में अब तक मेरठ से अपनी रोल मॉडल नहीं मिली है।

उदयवीर सिंह राणा, अध्यक्ष

धीरे-धीरे आ रही हैं महिलाएं

धीरे-धीरे महिलाएं आ तो रही हैं, क्0-क्ख् साल पहले यह स्थिति नहीं थी। लड़कियां इस फिल्ड को काफी चैलेंजिंग और निल डोमीनेंटिंग मानती हैं। इसलिए महिलाएं इस फिल्ड में आने से कतराती हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से लड़कियां आई हैं। अब महिलाएं अपनी हिम्मत और ताकत पहचानने लगी हैं। इसमें उनके पेरेंट्स भी सपोर्ट देने लगे हैं, जो कि पहले नहीं हुआ करता था।

रीना सिंह, एडिशनल एडवोकेट जरनल, यूपी इन सुप्रीम कोर्ट

अध्यक्ष पद के लिए ख्भ् साल का एक्सपीरियंस जरूरी है, इस फिल्ड में जो भी लड़कियां आई हैं, ज्यादातर के पास एक्सपीरियंस की कमी है। दूसरा पुरुष वर्चस्व के चलते भी महिलाओं को वो जगह नहीं मिल पाई है।

रंजन नेगी, सीनियर एडवोकेट

महिलाओं को अभी तक मेरठ में कोई रोल मॉडल नहीं मिल पाई है। यही कारण है कि महिलाएं अभी तक इस फिल्ड में अपनी आवाज बुलंद नहीं कर पाई हैं। वह चेंबर में अभी भी खुद को इतना सुरक्षित महसूस नहीं कर पाती है। पुरुष वर्चस्व उन्हें आगे बढ़ने नहीं देता है।

शशि गुप्ता, सीनियर एडवोकेट

मैं बनना चाहती हूं रोल मॉडल

पहले तो टीचिंग प्रोफेशन को ही महिलाओं के लिए ठीक समझा जाता था। शादी की भी जल्दी होती थी, लेकिन अब पेरेंट्स और लड़कियां बहुत अवेयर हैं। इसलिए अब लड़कियां आई है। हालांकि मेरठ बार एसोसिएशन में लड़कियों को रोल मॉडल के रूप में कोई न मिल पाई हो, मगर मैं एक दिन महिलाओं के लिए रोल मॉडल बनकर दिखाऊंगी।

रजनीश कौर, कनिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य उम्मीदवार

कानून क्षेत्र में महिलाओं की भागेदारी अब बढ़ने लगी हैं, आने वाली पीढ़ी अब पूरी तरह से अवेयर हो चुकी है, इसलिए पिछले कुछ सालों में महिलाओं की भागेदारी बढ़ी है।

निर्मल गुप्ता, उपाध्यक्ष पद उम्मीदवार