-वोटर्स से ज्यादा नजर आए मतदान कर्मचारी

-बूथ मैनेजमेंट के अभाव में झेल गए कार्यकर्ता

GORAKHPUR: लोकसभा उपचुनाव में रविवार को वोटर्स की चुप्पी ने नेताओं, कार्यकर्ताओं को परेशान कर दिया। चुपचाप मतदान कर घरों को लौटे मतदाताओं ने गुणा-गणित को उलझा दिया। प्रत्याशियों के कार्यकर्ता, पोलिंग एजेंट्स और बूथ व्यवस्था संभाल रहे लोग परेशान हो गए। सुबह मतदान शुरू होने से लेकर शाम पांच बजे तक वोटर्स के रूझान का कोई अंदाजा नहीं लगा सके। विधानसभावार प्रभार संभाल रहे विधायक और उनके करीबी भी कोई अंदाजा नहीं लगा पा रहे थे। विधायकों के चेहरे की शिकन बता रही थी कि कड़ी टक्कर चल रही है। लेकिन फिर भी वे अपने प्रत्याशी की जीत को लेकर आश्वास्त नजर आए।

एक-एक कर डाला वोट, बूथ पर पसरा सन्नाटा

मतदान को लेकर पोलिंग सेंटर के बाहर कोई उत्साह नहीं नजर आया। सुबह कुछ केंद्रों पर वोटर्स की भीड़ रही। लेकिन सूरज चढ़ने के साथ-साथ वोटर्स की तादाद घटती चली गई। एक-एक करके वोटर बूथ पर पहुंचते रहे। इससे मतदान केंद्रों के अंदर पब्लिक की भीड़ नहीं लगी। आसानी से वोट डालकर लोग घरों को लौट गए। पब्लिक की भीड़ न होने से सुरक्षा और मतदान कर्मचारी राहत में रहे। उनको भीड़ नियंत्रण के लिए कोई उपाय नहीं करने पड़े। अधिकांश जगहों पर पोलिंग स्टेशन के बाहर भी कोई भीड़ नहीं रही। चौराहों पर मौजूद लोग भी चुनाव को लेकर उत्साहित नहीं नजर आए।

वोटर्स कम, ज्यादा दिखे मतदान कर्मचारी

बूथ पर सन्नाटे की हालत यह थी कि पब्लिक से ज्यादा सुरक्षा कर्मचारी नजर आ रहे थे। पैरामिलेट्री फोर्स और पुलिस के जवानों की मौजूदगी सुरक्षा का अहसास करा रही थी। बावजूद इसके चुनाव के प्रति वोटर्स का कोई रूझान नहीं मिल पाया। कई मतदान केंद्रों पर मतदान में लगे सुरक्षा कर्मचारी सुस्ताते रहे। मोबाइल पर गेम खेलने और चैटिंग करने की व्यस्तता भी बनी रही।

बूथ मैनेजमेंट की उपेक्षा, नाबालिग बांटते रहे पर्ची

उपचुनाव में बूथ मैनेजेमेंट का अभाव नजर आया। मतदान केंद्रों के बाहर वोटर पर्ची स्टाल पर बैठे कार्यकर्ता अनमने मन से काम करते रहे। कुछ जगहों पर कुर्सी मेज लगाकर नाबालिगों को पर्ची बांटने की जिम्मेदारी दे दी गई थी। बातचीत करने पर सामने आया कि अकेले इलेक्शन लड़ने वाले उम्मीदवार की ओर से कुछ इंतजाम किया। लेकिन समर्थन के प्रत्याशी की व्यवस्था में एक दूसरे पर जिम्मेदारी को लेकर असंमजस बना रहा। वोटर स्लिप डेस्क संभाल रहे लोग दिनभर नाश्ते, भोजन और पानी के लिए हलकान हुए।