- यूनिवर्सिटी ने बेच डाली पिछले साल की एग्जाम कॉपियां

- तीन साल से पहले नहीं बेच सकते है कॉपियां

- बिना टेंडर जारी किए ही बेच दी कॉपियां

LUCKNOW: लखनऊ यूनिवर्सिटी में अगर कोई स्टूडेंट अपने एग्जाम की कॉपियां देखना चाहता है तो वह अपनी यह इच्छा छोड़ दे। यूनिवर्सिटी ने स्टूडेंट्स की एग्जाम कॉपियों को सुरक्षित रखने की बजाए उन्हें चंद पैसे के लिए बेच दिया है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इन कॉपियों को बेचते समय यह देखना मुनासिब नहीं समझा कि वह कॉपियां किस वर्ष की हैं। दरअसल, थर्सडे को शिक्षा विभाग के पास कॉपियों के बंडल लादने के लिए तीन से चार ट्रक मंगाए गए थे। प्राप्त जानकारी के अनुसार जिन कॉपियों को ट्रक में लदवाया गया था उनमें पिछले साज के एग्जाम की कॉपियां भी शामिल हैं। बता दें कि यूनिवर्सिटी में तीन साल तक कॉपियों को रखने का प्रावधान है। वहीं सूत्रों का कहना है कि यूनिवर्सिटी ने बिना टेंडर के ही कॉपियों को किसी एजेंसी को बेच दिया है।

स्टूडेंट्स को हो सकती है प्रॉब्लम

एलयू की ओर से एग्जाम कॉपियों को अचानक से हटाने से इसका सीधा असर स्टूडेंट्स पर पड़ेगा। यदि कोई स्टूडेंट आरटीआई के तहत साल 2016 की एग्जाम कॉपियों को देखने की मांग करता है तो उसे केवल मायूसी हाथ लगेगी। ऐसे में स्टूडेंट्स के सामने दोबारा से एग्जाम देने या फिर अपने कॅरियर से समझौता करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा।

तीन माह बाद नहीं फाइल कर सकते आरटीआई

वहीं इस पूरे मामले पर यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि एग्जाम प्रक्रिया पूरी होने के तीन मंथ के अंदर ही स्टूडेंट्स आरटीआई फाइल कर सकते हैं। उनके मुताबिक साल भर पुरानी एग्जाम कॉपियों का कोई यूज नहीं है जबकि नियम है कि एक सेशन की कॉपियां यूनिवर्सिटी में तीन साल तक रखी जाएं। उधर, परीक्षा नियंत्रक प्रो। एके शर्मा और वित्त अधिकारी सुरेश उपाध्याय के मुताबिक कॉपियां तीन महीने ही रखी जाती हैं। जबकि अगर कोई स्टूडेंट्स आरटीआई के तहत कॉपी देखने का आवेदन करता है तो तीस दिन के अंदर आवेदनकर्ता का कॉपी दिखानी होती है, लेकिन कई बार यूनिवर्सिटी आरटीआई के तहत आए आवेदनों पर एक महीने के बाद कार्रवाई करता है। ऐसे में तीन महीने ही कॉपियां रखने की बात तर्कहीन है। कॉपियां रखने का यह प्रावधान प्रदेश के लगभग सभी यूनिवर्सिटी में है, लेकिन एलयू ने सभी नियमों को ताक पर रखकर 2016 की कॉपियों को बेच दिया।

टेंडर प्रक्रिया हुई ही नहीं

कॉपियां नीलाम करने के लिए न विज्ञापन जारी किया गया और न ही टेंडर निकाला गया है जबकि एक लाख रुपए से ऊपर का कोई क्रय-विक्रय बिना टेंडर के नहीं हो सकता है। वित्त अधिकारी सुरेश उपाध्याय के मुताबिक वीसी के निर्देश व सबकी सहमति के बाद पिछले वर्ष का टेंडर एक्सटेंड कर दिया गया था। आचार संहिता के कारण नया टेंडर खोला नहीं जा सकता था और अगर चुनाव खत्म होने का इंतजार करते तो 1 मार्च से शुरू होने वाली परीक्षाओं की कॉपियां रखने के लिए खाली जगह न मिलती।

कैम्पस से उन कॉपियों को हटाया जा रहा है जिनके एग्जाम एक या दो साल पूर्व हो चुके हैं। स्टूडेंट्स को आरटीआई फाइल कर कॉपियां देखने का समय तीन महीने का दिया जाता है जोकि पर्याप्त है। इसी के बाद यह कॉपियां हटाई जा रही है।

- प्रो। एके शर्मा, परीक्षा नियंत्र

प्रदेश में आर्दश आचार संहिता लागू है, ऐसे में हम कोई टेंडर प्रक्रिया नहीं कर सकते हैं। एक मार्च से परीक्षाएं होनी हैं ऐसे में पिछले साल के टेंडर को आगे बढ़ा दिया गया है।

- सुरेश उपाध्याय, वित्त अधिकारी