RANCHI : रिम्स में आर्थोपेडिक वार्ड के कॉरीडोर में मरीज पलमति देवी को फर्श पर खाना परोसने वाले स्टाफ चंद्रमणि प्रसाद को हटा दिया गया है। इंसानियत को शर्मसार करने वाले इस मामले मेंकई और अधिकारी व कर्मी नपेंगे। दरअसल फर्श पर मरीज को भोजन परोसे जाने का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की तीन सदस्यीय टीम ने शुक्रवार को रिम्स पहुंचकर पूरे मामले की तहकीकात की। विभाग के विशेष सचिव मनोज कुमार के नेतृत्व में टीम ने रिम्स की डायटिशियन कुमारी वसुंधरा समेत कई अधिकारियों से लंबी पूछताछ की।

किचन की दिखी बदइंतजामी

स्वास्थ्य विभाग की जांच टीम ने किचन का भी जायजा लिया। यहां कौन खाना बनाता है और मरीजों को भोजन कौन परोसता है, इसकी जानकारी ली। एक-एक स्टाफ से पूछताछ की और यहां की बदइंतजामी पर नाराजगी जाहिर करते हुए उन्हें जमकर फटकार लगाई। टीम शनिवार को अपनी जांच रिपोर्ट विभाग को सौंपेगी। इधर, रिम्स डायरेक्टर भी इस मामले की अपने स्तर पर जांच करा रहे हैं।

एक महीने से फर्श पर दे रहे थे खाना

स्वास्थ्य विभाग की जांच टीम को महिला मरीज पूलमति देवी ने बताया कि वह पिछले एक महीने से इलाज के लिए आर्थो वार्ड के कॉरिडोर में पड़ी हुई हैं। जब स्टाफ से भोजन मांगा तो उसने फटकार दिया था, पर बहुत गिड़गिड़ाने पर उसने फर्श पर ही दाल-चावल परोस दिया। यह सिलसिला पिछले एक महीने से चला आ रहा था। भोजन देने के लिए एक बर्तन भी रिम्स प्रशासन की ओर से उपलब्ध नहीं कराया गया।

हाईकोर्ट ने रिम्स प्रशासन से मांगा जवाब

झारखंड हाईकोर्ट ने भी महिला मरीज को फर्श पर भोजन परोसे जाने के मामले में स्वत: संज्ञान लिया है। अदालत ने राज्य सरकार ओर रिम्स प्रशासन को नोटिस जारी करने हुए जवाब देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 28 सितंबर को होगी।

हर साल तीन सौ करोड़ खर्च, पर एक बर्तन देने में असमर्थ

राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में मरीजों के साथ जानवरों जैसा बर्ताव करने का यह कोई पहला मामला नहीं है। यहां की सिस्टम पटरी से उतरी हुई है, जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। अब देखिए ना। हर साल रिम्स पर 300 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। नई-नई बिल्डिंगें बन रही हैं। करोड़ों के मशीन खरीदे जा रहे हैं, लेकिन एक गरीब और लाचार मरीज को एक बर्तन देने की ताकत इस इस हॉस्पिटल के पास नहीं है।