KANPUR:

प्रदेश के सबसे बड़े राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान ने कबाड़ हो चुकीं मशीनों को भ्ब् लाख रुपये में बेच डाला लेकिन सुस्त सरकारी प्रक्रिया के चलते अभी तक नई मशीनें नहीं आ सकीं। नतीजा छात्रों के प्रशिक्षण की खानापूरी हो रही है।

संस्थान ने लेथ शेपर व अन्य कबाड़ हो चुकीं मशीनों को बेचकर शासन से नई मशीनों के लिए अनुदान की गुहार लगाई थी, लेकिन शासन ने उसे एक पाई भी नहीं दी। जिला योजना व शासन से कई बार ग्रांट की मांगने के बाद भी कोई लाभ नहीं मिला। बीती एक अक्टूबर को व्यावसायिक शिक्षामंत्री डॉ। अभिषेक मिश्र ने संस्थान का निरीक्षण किया था। उन्हें समस्याएं बताई गईं फिर भी कोई काम नहीं बना।

नहीं हैं ये मशीनें

संस्थान में शेपर व प्लेनर की चार-चार मशीनें कम हैं। लेथ की मशीनें भी बहुत कम हैं। एक मशीन से क्0 से क्भ् छात्रों को काम चलाना पड़ रहा है। इसके अलावा पावर हेक्सा मशीन न होने से प्रशिक्षुओं को बेवजह के श्रम से गुजरना पड़ रहा है। मशीन न होने से छात्र आरी से काम चला रहे हैं। मशीनें न होने से टर्नर, मशीनिस्ट फिटर सहित कई और व्यवसायों की पढ़ाई व प्रशिक्षण चौपट है।

गिराऊ हो चुका है वर्कशाप

संस्थान की मोल्डर वर्कशाप की दीवारों में जगह-जगह दरारें हैं। मशीनें चलने से दीवारें हिलती हैं। इसके चलते बरसात में वर्कशाप के ढहने का खतरा है। यहां भट्ठियां भी रहती हैं जिससे कभी भी कोई बड़ी दुघर्टना हो सकती है। इसके अलावा ऊपरी मंजिल के कमरों का बुरा हाल है। उन्हें गिराऊ घोषित किया जा चुका है।

सड़कें बदहाल हो चुकी हैं

वर्कशाप से महिला विभाग की ओर तथा गेट नंबर तीन से ऑडीटोरियम तक की सड़क नदारद हो गई है। संस्थान की दूसरी सड़कों का हाल भी बुरा है। इन सड़कों पर गढ्डों के कारण बरसात में बुरा हाल हो जाता है।

'उच्चस्तरीय प्रशिक्षण के लिए नई मशीनों के साथ वर्कशाप की मरम्मत बहुत जरूरी है। जिला योजना में एक करोड़ की ग्रांट मांगी गई लेकिन अभी तक निराशा ही मिली है.'

-केएम सिंह, प्रधानाचार्य, आईटीआई