- लोहिया से प्रभावित होकर महाराष्ट्र से आए गोरखपुर मधुकर दिघे

- मेघालय और अरुणाचल के रह चुके हैं राज्यपाल

- तीन बार विधान सभा में पिपराइच का किया है प्रतिनिधित्व

GORAKHPUR: मेघालय और अरुणाचल के राज्यपाल रह चुके मधुकर दिघे का निधन संडे को गुड़गांव में हो गया। वे राममनोहर लोहिया की नीतियों से प्रभावित होकर महाराष्ट्र से गोरखपुर आये थे। उनके निधन की खबर सुनकर गोरखपुर के समाजवादियों शोक की लहर है। 9ब् वर्षीय दिघे पिछले कुछ दिनों से बीमार थे। वह अपने पुत्र डॉ। पंकज दिघे के साथ गुड़गांव में ही रह रहे थे। गोरखपुर में उनका निवास स्थान हरिओम नगर कॉलोनी में था।

पूर्र्वाचल से था लगाव

मधुकर दिघे को पूर्वाचल से बहुत लगाव था। लोहिया के विचारों से प्रभावित होकर वे महाराष्ट्र से गोरखपुर आए और राजनीति से जुड़ गए। वह अंतिम समय तक पूर्वाचल और समाजवाद के लिए लडे। सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने के बाद भी वे 'पूर्वाचल राज्य बनाओ' पार्टी के संरक्षक बनकर पूर्वाचल के लिए लड़ाई लड़ते रहे थे।

कर्म स्थली के लिए लड़ते रहे जीवन भर

मधुकर दिघे का पूरा नाम मधुकर विनायक दिघे था। इनका जन्म ख्म् अक्टूबर क्9ख्0 को महाराष्ट्र में हुआ था। भ्0 के दशक में वह राममनोहर लोहिया के संपर्क में आए और गोरखपुर को अपनी कर्मस्थली बना ली। दिघे के राजनीतिक जीवन की शुरुआत गन्ना आंदोलन से हुई। क्9भ्8 में वे सरदार नगर के गन्ना आंदोलन से जुड़े। 7 जनवरी क्9भ्9 को हुए छबैला में गोली कांड में तीन लोग मारे गए। उस समय आंदोलन का नेतृत्व मधुकर दिघे कर रहे थे। इस घटना के बाद लोहिया ने आंदोलन की कमान संभाली।

मधुकर दिघे का राजनीतिक कैरियर

-क्9म्7 में वे पहली बार पिपराइच विधानसभा से चुनाव जीते।

-क्97ब् में वे दूसरी बार पिपराइच विधानसभा से चुनाव जीते।

-क्977 उन्होंने तीसरी बार पिपराइच विधानसभा प्रतिनिधित्व किया।

-क्977 में जनता पार्टी की प्रदेश सरकार में वे वित्त मंत्री बने।

-क्99क् में वे मेघालय के राज्यपाल बने।

-कुछ महीनों बाद उन्हें अरुणाचल के राज्यपाल का कार्यभार भी दे दिया गया।