- गोमतीनगर के हुसडि़या में हुई फायरिंग में घायल सत्यप्रकाश की इलाज के दौरान हुई थी मौत

- कुख्यात माफिया संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा के इशारे पर हुई हत्या

- दो महंगी जमीनों को कौडि़यों के दाम पर खरीदने की भी मिली जानकारी

LUCKNOW: राजधानी के रियल एस्टेट कारोबार में प्रदेश के माफिया अपने पांव पसार रहे हैं। शहर की जमीनों के रेट में आए जबरदस्त बूम ने प्रदेश भर के माफियाओं का ध्यान अपनी ओर खींचा है। यही वजह है कि अब माफिया न सिर्फ अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा राजधानी की जमीनों में इन्वेस्ट कर रहे हैं बल्कि जो शख्स उन्हें अपनी जमीनें बेचने से इनकार कर रहा है, या तो उसकी जमीने धमकी देकर हासिल की जा रही हैं या फिर उसे मौत की नींद सुला दिया जा रहा है। गोमतीनगर के हुसडि़या चौराहे पर सत्यप्रकाश रावत की ताबड़तोड़ फायरिंग कर की गई हत्या की जांच में जो तथ्य निकलकर सामने आ रहे हैं उसने पुलिस ऑफिसर्स की पेशानी पर बल ला दिये हैं। संगठित अपराध से कमोबेश छुटकारा पा चुकी राजधानी पुलिस अब इस नये पनपते खतरनाक ट्रेंड को देखकर समझ नहीं पा रही कि आखिर इससे कैसे निपटा जाए।

जमीन हाथ से जाती देख करवा दी हत्या

सत्यप्रकाश रावत हत्याकांड की जांच में जुटी पुलिस टीम को पड़ताल में पता चला कि यह हत्या बाराबंकी-फैजाबाद हाइवे पर स्थित करोड़ों रुपये कीमत की जमीन को लेकर की गई। बताया जाता है कि इस जमीन पर देहरादून के कुख्यात माफिया संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की नजर पड़ी। पहले उसने सत्यप्रकाश पर जमीन कौडि़यों के दाम पर बेचने के लिये दबाव बनाया। पर, उसके इनकार के बाद उसकी जमीन की फर्जी ढंग से रजिस्ट्री करा दी गई। मामले की भनक लगने पर सत्यप्रकाश ने इसकी शिकायत पुलिस में की। इसी से नाराज होकर जीवा ने अपने भाड़े के शूटरों से उसकी सनसनीखेज ढंग से हत्या करवा दी। इस हत्याकांड में जीवा की मदद करने के आरोप में अरेस्ट किये गए हुसडि़या गांव निवासी ताम्रध्वज ने पुलिस को तमाम जानकारियां दी हैं, जिसे पुलिस ने अपनी जांच में शामिल किया है।

कई और जमीनें भी हथियाई

पुलिस सोर्सेज के मुताबिक, ताम्रध्वज ने पूछताछ के दौरान बताया कि जीवा ने इसके पहले भी राजधानी की दो कीमती जमीनें औने-पौने दामों पर खरीदीं हैं। उसने बताया कि जीवा उसी के नाम पर जमीनों की रजिस्ट्री करवाई जाती थी। जिसके बाद वह उस जमीन को जीवा के साले मोहित शर्मा के नाम पर रजिस्ट्री कर देता था। हाल ही में लखनऊ-फैजाबाद हाइवे पर स्थित बीबीडी इंजीनियिरंग कॉलेज के सामने भ् बीघा जमीन को कौडि़यों के दाम पर खरीदा गया। इसके साथ ही राजाजीपुरम के टिकैत राय तालाब में भी 7ख्00 स्क्वायर फीट जमीन को औने-पौने दामों पर खरीद लिया गया। अब पुलिस जीवा के साले मोहित शर्मा की भी तलाश में जुट गई है।

बाराबंकी जेल से शिफ्ट कराने की तैयारी

बाराबंकी जेल में एक कोयला व्यवसायी से रंगदारी मांगने के मामले में बंद माफिया संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा के सत्यप्रकाश हत्याकांड में शामिल होने की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने उसे वहां से शिफ्ट कराने की तैयारी शुरू की है। पुलिस सोर्सेज ने बताया कि इसके लिये शासन को रिपोर्ट भेजकर मांग की जाएगी कि उसे प्रदेश की किसी अन्य जेल में शिफ्ट किया जाए। गौरतलब है कि जीवा के खिलाफ मुजफ्फरनगर, हरिद्वार, फरुखाबाद, देहरादून, इलाहाबाद समेत तमाम जिलों में दर्जनों संगीन धाराओं के मुकदमे दर्ज हैं। लेकिन, अपने रसूख और रुपये के दम पर वह बाराबंकी जेल में पिछले दो साल से बना हुआ है। सोर्सेज का कहना है कि बाराबंकी जेल से लखनऊ के रियल एस्टेट कारोबार में दखल देने में आसानी होती है। यहीं वजह है कि साम-दाम-दंड-भेद की युक्ति अपनाकर वह बाराबंकी जेल में ही डेरा डाले हुए है।

सत्यप्रकाश हत्याकांड के तार बाराबंकी जेल में बंद संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा से जुड़े पाए गए हैं। कई और जमीनों के सौदे की जानकारी मिली है, जिसकी जांच की जा रही है।

दिनेश सिंह

एसपी क्राइम