महाशिवरात्रि:
महाशिवरात्रि के पर्व के लिए शिव मंदिर सजधज कर तैयार हैं। वैसे तो शिवरात्रि हर महीने पड़ती है, लेकिन फाल्गुन के महीने की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। इस खास दिन के पीछे मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव का विवाह हुआ था। जिससे चतुदर्शी के दिन महाशिवरात्रि मनाई जाती है। यह पर्व हर साल फाल्गुन माह में 13वीं रात या 14वें दिन मनाया जाता है। इस रात भगवान शिव तांडव नृत्य करते हैं। जिससे लोग इस पर्व पर पूरी रात जागकर भगवान शिव की वूजा आराधना कर भजन आदि गाते हैं।

ऐसे करें पूजा:

वहीं बड़ी संख्या में लोग पूरे दिन और रात उपवास भी करते हैं। माना जाता है कि इस दिन उपवास आदि रखने से मोक्ष की प्राप्ित होती है। भगवान शिप पर दूध, दही, शहद आदि चढ़ाने से भगवान शिव भक्तों पर जल्दी प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा पूजा में सफेद पुष्प, सफेद कमल पुष्पों के साथ ही भांग, धतूरा और बिल्व पत्र को भी शामिल करना चाहिए। ये चीजें शिव जी को बहुत पसंद हैं। जिससे वह उनके सभी पापों को हर लेते हैं। इसके अलावा उनकी हर इच्छा को पूरी करते हैं।

ये शुभ फल:

महिलाओं के बीच महाशिवरात्रि के पर्व को लेकर एक अलग मान्यता है। कहा जाता है कि इस दिन पूजा व उपवास करने से भगवान शिव और माता पार्वती उन पर खुश होती हैं। उपवास रखने वाली कुंवारी कन्याओं को भगवान शिव जैसा पति मिलता है। वहीं जो विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत व पूजा आराधना करती है। भगवान शिव उनके पति और परिवार से जुड़ी हर मनोकामनापूरी करते हैं। अगर पूजा की विशेष सामग्री नहीं है तो सिर्फ पानी और बेल पत्र से भी भगवान को शिव को प्रसन्न किया जा सकता है।

पूजा मुहूर्त:

24 फरवरी: निषीथ काल में पूजा समय सुबह 12:26 से 01:16 तक। पूजा की अवधि: 49 मिनट है।
25 फरवरी: महाशिवरात्रि पाराना समय सुबह 07:04 से बजे शाम 03:45 तक है।
24 की रात्रि का पहला  प्रहर: शाम 6:38 से रात 09:45 तक है।
रात्रि का दूसरा प्रहर: 09:45 से 12:51 सुबह तक है।  
रात्रि का तीसरा प्रहर: सुबह 12:51 से 3:57 तक है।
रात्रि का चौथा प्रहर: चतुर्दशी तिथि 24 फरवरी की रात 9:38 से शुरू होकर 25 फरवरी की रात 9:20 pm तक है।

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