कौन किस पर भारी
हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिये रविवार सुबह 8 बजे शुरू हुई मतगणना अब अपने अंतिम पड़ाव पर है. फिलहाल अभी तक जो नताजे आये हैं, उनमें बीजेपी ने 45 सीटों पर जीत हासिल कर ली है. इसके अलावा 2 सीटों पर बढत बनाये हुये है. वहीं इंडियन नेशनल लोकदल 19 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर है. हालांकि कांग्रेस को अभी तक सिर्फ 15 सीटें ही मिली है. फिलहाल बीजेपी अभी 2 सीटों पर बढ़त बनाये हुई है. वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र में भी बीजेपी ने 123 सीटों पर कब्जा कर लिया है.

गठबंधन टूटने का कितना पड़ेगा असर

महाराष्ट्र में 15 साल और हरियाणा में 10 साल सत्तारूढ़ रहने के बाद चुनावी परीक्षा में सत्ताविरोधी लहर का खमियाजा भुगतने का मन कांग्रेस नेता नतीजों के आने से आने से पहले ही बना चुके हैं. करीब छह महीने पहले केंद्र की सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस इन दोनों राज्यों में भी सरकार में वापसी को लेकर आश्वस्त नहीं है. उसके हौसले पस्त हैं. मतदान बाद हुए आकलन सटीक रहे और महाराष्ट्र में भाजपा अकेले सरकर बनाती है तो उसी 25 बरस पुरानी सहयोगी शिवसेना के राजनीतिक भविष्य पर भी सवाल उठेंगे. बाल ठाकरे के निधन के बाद उद्धव ठाकरे के कमजोर नेतृत्व पर चर्चा होनी तय है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के रूप में पार्टी तोड़कर बाहर हुए मराठी मानुष की सियासत करने और घृणा की राजनीति करने वाले नेता राज ठाकरे को खुद की नीतियों पर पुनर्विचार करना होगा.

हरियाणा में चल सकता है मोदी का जादू
यही हाल हरियाणा की सियासत में देखने को मिलेगा. जिस हरियाणा में पिछले विधानसभा के चुनाव में भाजपा को जहां सिर्फ चार सीटें मिलीं थीं, वह इस बार सरकार बनाने की स्थिति में होगी. इसका श्रेय मोदी व अमित शाह को ही जाएगा. राज्य में हमेशा दोयम दर्जे की रही पार्टी पहली बार अपने बूते चुनाव मैदान में उतरने का साहस दिखाया है. राज्य में एग्जिट पोल के नतीजे के बाद ही कांग्रेस जहां पस्त नजर आ रही है, वहीं अन्य छोटे दलों के भविष्य पर भी लोगों की नजर होगी. पुश्तैनी नेतृत्व के भरोसे जातिगत सियासत करने वाली इंडियन नेशनल लोकदल के लिए यह चुनाव अहम होगा. पार्टी नेता ओमप्रकाश चौटाला भ्रष्टाचार के मामले में 10 साल की सजा काट रहे हैं, लेकिन चुनाव के दौरान अंतरिम जमानत पर बाहर आकर जमकर प्रचार किया, जिससे पस्त कार्यकर्ताओं वाली पार्टी को संजीवनी मिल गई. चुनाव में उसे संतोषजनक बढ़त की उम्मीद है. राज्य में गैर जाट राजनीति करने वाले दिग्गज नेता भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई को पिता की विरासत मिल जाने का भरोसा था, लेकिन नरेंद्र मोदी की लहर से उसकी सियासी धरती खिसक चुकी है.

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