- कामकाजी महिलाओं के हॉस्टल आकांक्षा पर भरोसा नहीं है महिलाओं को

- मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना में शामिल है आकांक्षा, दिसंबर में ही हुआ था शुरू

PATNA : ये किसी ऐरी-गैरी योजना का सच नहीं है। ये मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना के अंतर्गत उस आकांक्षा छात्रावास का है, जो कामकाजी महिलाओं के लिए है। एएन कॉलेज के सामने विवेकानंद मार्ग में स्थित दो फ्लोर वाले इस हॉस्टल में कई सुविधाएं भी हैं। पटना कामकाजी महिलाओं का हब है पर यहां कोई महिला रहने को अब तक तैयार नहीं।

क्ख् कमरे, ब्8 बेड पर सब खाली

मुख्यमंत्री के नाम वाली योजना का सच जानने आई नेक्स्ट एक बार फिर से आकांक्षा हॉस्टल गया, जिसके बारे में सरकार ने लाखों रुपए का एड अखबारों में छपवाए। हमें पता चला कि दिसंबर में इसकी शुरुआत हुई और कई समीक्षा मीटिंग भी हो चुकी हैं। हॉस्टल में क्ख् कमरे हैं और ब्8 बेड। कमरों में चार-चार बेड हैं। चार सिंगल कमरे हैं, यानी भ्0 से ज्यादा बेड हैं। दो बेड सीक रूम है। वो इसलिए कि बीमार होने पर महिला को बाकी से अलग रहने की व्यवस्था हो। दिलचस्प ये कि सब के सब खाली पड़े हैं। बेडों पर चादर है, पिलो है पर कोई सोने वाला नहीं है। हॉल में डाइनिंग टेबल है पर उस पर कोई खाने वाला नहीं है। भ्ख्00 स्क्वायर फीट में है आकांक्षा। छह टायलेट-बाथरूम भी हैं। तीन बड़े हॉल हैं जिसमें महिलाएं बैठकर खाना खा सकें, टीवी देख सकें।

एक किचन, रसोइया जीरो

मुख्यमंत्री जी यहां एक किचन है पर रसोईया है ही नहीं। हमें पता चला कि एक रसोइया और एक सहायक रखना था। रसोइया का चयन भी हुआ। विज्ञापन के आधार पर चयन हुआ। दोनों ने ज्वाइन भी किया पर उसमें से एक प्रेगनेंसी के नाम पर चली गई और दूसरी ऐसे ही चली गई। दोनों को पांच-पांच हजार रूपए देना तय हुआ था।

नहीं हैं चौकीदार न सुपरिंटेंडेंट

आकांक्षा के लिए महिला चौकीदार ही नहीं मिल रहे। इसे पांच हजार रुपए देना है। ऑफिस एसिस्टेंट भी नहीं मिली। इसे आठ हजार रुपए देना है। हॉस्टल सुपरिंडेंटेड के लिए चयन हुआ पर एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट नहीं देने की वजह से फाइनली सलेक्शन नहीं हो पाया, जिसे क्भ् हजार रुपए मंथली देना है।

सात सीसीटीवी कैमरा

आकांक्षा की निगरानी में हॉस्टल के बाहर सात सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। सवाल ये है कि ये किसकी निगरानी में दिन रात आंखें बिछाए रहते हैं।

हर महीने भ्0 हजार रुपए

गवर्नमेंट आकांक्षा के लिए हर महीने भ्0 हजार रुपए देती है। एनजीओ दिव्य विकास जिसे इसे चलाने के लिए दिया गया है वह अपनी तरफ से फ्8 हजार रुपए लगाता है, यानी कुल 88 हजार रूपए लग रहे हैं आकांक्षा पर। रेंट के नाम पर शुरू के तीन महीने सरकार यानी दिसंबर, जनवरी और फरवरी के रुपए दे चुकी है, उसके बाद का बकाया है।

विज्ञापन भी हुआ, फिर भी ये हाल

ऐसा नहीं है कि आकांक्षा का विज्ञापन ही नहीं हुआ। आदर्श दिव्य विकास के सेक्रेटरी ज्ञानेश कुमार बताते हैं कि एनजीओ को ख्0 हजार रुपए सरकार की ओर से विज्ञापन के लिए मिला। अखबारों में विज्ञापन दिया भी गया। ख्ख् हजार रुपए के पोस्टर छपवाए। हैंडबिल और पोस्टर बंटवाए। हमलोगों ने क्भ्क् जगहों पर संपर्क किया। हॉस्टपीटल, बैंकों ,कॉलेजों आदि से संपर्क किया। खुद मैंने क्ख्0 जगह विजिट किया, लेकिन अब तक एक भी वर्किग वुमेन रहने नहीं आई। सरकार के साथ क्क् माह का एग्रीमेंट एनजीओ के साथ हुआ है।

गवर्नमेंट एड के बाद फोन पर फोन

गवर्नमेंट की ओर से रविवार को अखबारों में एड आने के बाद लगभग क्ख्0 फोन आकांक्षा में रहने के नाम पर आए, लेकिन इसमें से ज्यादातर फोन सिर्फ पूछताछ के लिए ही आए। बमुश्किल सीरियस फोन ख्0 आए होंगे। हद है सोमवार तक एक भी फॉर्म की बिक्री की सूचना नहीं है, जबकि फॉर्म के लिए या दाखिले के लिए कोई फी देय नहीं है। हां, भोजन के लिए फ्भ्00 रुपए लगेंगे। रहने के लिए कोई फी नहीं लगेगा। हर तीन माह पर भ्00 रूपए मेंटनेंस शुल्क के लिए लेगेंगे।

हॉस्टल का मेनू

सुबह म्.फ्0-7.00 बजे- चाय बिस्कुट

7.फ्0-8.00 बजे- सुबह का नाश्ता

9.00 - क्0.00-दोपहर भोजन या टिफिन

संध्या म्.00 से 7.00 बजे- शाम का नाश्ता

रात्रि 8.फ्0-9.फ्0 बजे- रात का भोजन

मेनू में सप्ताह के सात दिन अलग-अलग भोजन की व्यवस्था की गई है।

चुनाव आचार संहिता की वजह से इसका प्रचार-प्रसार नहीं हो सका था। अब इसके प्रचार-प्रसार पर डिपार्टमेंट ध्यान दे रहा है।

- लेसी सिंह, मिनिस्टर, सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट