-हुसैन की बेटी जनाबे सकीना की याद में मजलिसों का किया गया आयोजन

VARANASI: शेरेखुदा मौला मुश्किलकुशा अली की पौत्री व इमाम हुसैन की चार साल की बेटी जनाबे सकीना की शहादत के सिलसिले में गुरुवार को कई स्थानों पर मजलिसें हुई। मासूम सकीना की याद में उठाए गए ताबूत को देखकर लोगों की आंखें नम हो गई। दरगाह फातमान में मजलिस को खिताब करते हुए सैय्यद फरमान हैदर ने कहा कि कर्बला की जंग में शहीद हुए इमाम हुसैन की लाडली बेटी को जालिम यजीदी सेना ने गिरफ्तार करके (सीरिया) के कैदखाने में नजरबंद कर दिया था। मासूम बच्ची को इतना प्रताडि़त किया गया कि उसी कैदखाने में मासूम की शहादत हो गई। कहा कि नन्हीं सी उम्र में जनाबे सकीना ने सब्र का दामन नहीं छोड़ा। उनके सीने में अपनी मां खातूने जन्नत बीबी फातमा का दिल धड़क रहा था। जब सैय्यद फरमान हैदर ने शहादत का विस्तार से वर्णन किया तो मौजूद सैकड़ों लोग रोने लगे। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी थीं। मौलाना मुस्तफा हसन ने कहा कि जनाबे सकीना ने अपनी छोटी सी उम्र में बड़ों को भी सब्र का पैगाम दिया। बाद में तबर्रुक तक्सीम किया गया। वहीं पितरकुंडा स्थित जीशान हैदर बबलू के आवास पर महिलाओं ने ताबूत उठाया। इससे पहले नरगिस खातून नकवी, कानपुर ने खिताब किया। फरहा नाज, कैसर फातमा, इमरोश आदि ने नौहाख्वानी की। अंत में ताबूत उठाया गया। दालमंडी स्थित शाहिद अली के आवास पर मौलाना तहजीबुल हसन, रांची ने खिताब किया। आधा दर्जन अंजुमनों ने नौहाख्वानी व मातम किया। अर्दलीबाजार में मौलाना रेहान हसन ने मजलिस को खिताब किया। सभी स्थानों पर नौहाख्वानी व मातम किया गया।