-उन्नाव के पास सरैंया क्रॉ¨सग स्थित छमक नाली में देर रात करीब एक बजे हुई घटना, बाल-बाल बची हजारों पैसेंजर्स की जान

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KANPUR: गुरुवार देर रात बैराज मार्ग स्थित सरैंया रेलवे क्रॉ¨सग स्थित छमक नाली में डाउन लाइन पर टूटी हुई पटरी से शताब्दी समेत एक दर्जन से ज्यादा एक्सप्रेस व मेमो ट्रेनें धड़धड़ाकर गुजर गईं। ट्रेनों के निकलने के बाद कीमैन ने पटरी टूटने की सूचना स्टेशन अधीक्षक को दी। टूटी पटरी से शताब्दी समेत दर्जनों एक्सप्रेस ट्रेनें गुजरने से विभाग में हड़कंप मच गया। ऐन वक्त पर कीमैन की नजर पड़ जाने से बड़ा हादसा टल गया। सूचना पर पहुंचे पीडब्लूआई ने आनन-फानन में ब्लाक लेकर मरम्मत कार्य शुरू कराया।

क्ब् घंटे में 'मौत के रास्ते' से गुजरी हजारों जिंदगी

इस दौरान रात एक बजे से दोपहर तीन बजे तक डाउन लाइन पर शताब्दी एक्सप्रेस, अहमदाबाद गोरखपुर एक्सप्रेस, लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस, पुरी नई दिल्ली, फैजाबाद इंटरसिटी, रायबरेली पैसेंजर, आगरा कैंट, मरुधर एक्सप्रेस, गोरखधाम सुपरफास्ट, फर्रूखाबाद एक्सप्रेस, कोटा पटना एक्सप्रेस, तीन मेमो ट्रेनें, मालगाड़ी समेत करीब डेढ़ दर्जन ट्रेनें इस टूटी पटरी से धड़धड़ाकर गुजरीं। टूटी पटरी से शताब्दी गुजरने पर विभाग में हड़कंप मचा रहा। ब्लाक लेने के दौरान डाउन लाइन की ओर की ट्रेनों को जहां का तहां खड़ा कर दिया गया। जिससे यात्रियों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। फिलहाल की मैन की मुस्तैदी ने एक बड़ा हादसा टाल दिया।

ब्7 एमएम टूट गई पटरी

गुरुवार देर रात करीब एक बजे सरैंया रेलवे क्रॉ¨सग ब्0-एक के आगे छमक नाली में डाउन लाइन पर पोल संख्या म्ब्/क्8 व म्ब्/ख्0 के बीच में करीब ब्7 एमएम पटरी टूट गई। इस दौरान पेट्रो¨लग कर रहे की मैन की नजर जैसे ही टूटी पटरी पर पड़ी उसने इस घटना की जानकारी गंगाघाट रेलवे स्टेशन अधीक्षक को दे दी। सूचना पर रात में ही गैंगमैनों ने पहुंचकर मरम्मत कार्य शुरू किया। इसके बाद सुबह करीब पांच बजे टूटी रेल पटरी असुरक्षित होने के कारण पीडब्लूडीआई ने पहुंचकर ठीक से मरम्मत कार्य शुरू कराया। दोपहर करीब तीन बजे सैंतालीस मिनट का ब्लाक लेकर नई रेल पटरी लगाने का कार्य किया गया।

जर्जर टर्फ बजा रहीं खतरे की घंटी

सालों पूर्व छमक नाली में लगाए गए टर्फ अब पूरी तरह नीचे से जर्जर हो चुके हैं। वहीं छमक नाली के पुल को सपोर्ट करने वाली दीवार कई जगह से दरक चुकी है, लेकिन इसके बाद भी मेंटीनेंस विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा है। रेलवे सोर्सेज की मानें तो नए टर्फ ज्यादा से ज्यादा दस साल चलते हैं, लेकिन इसके बाद भी उन्हें लगे पन्द्रह साल हो चुके हैं। इसी तरह सपोर्ट दीवार में कई जगह पेड़ निकल आए हैं। जिनकी जड़ों ने दीवार को नमी पहुंचाकर दरका दिया है। इसी कारण दरकी दीवार और जर्जर टर्फ हर वक्त खतरे की घंटी बजा रहे हैं।