- मेरठ के डिफेंस कॉलोनी में रहते थे अमर वीर स्वतंत्रता सेनानी मनोज तलवार

Meerut : आजादी के संघर्ष में अनगिनत युवाओं ने अपने बलिदान दिए। तब कहीं जाकर स्वतंत्रता का सवेरा हुआ, लेकिन आजादी की रक्षा करना तो आजादी प्राप्त करने से भी ज्यादा कठिन है। मेरठ की धरती ने जहां आजादी प्राप्त करने के लिए अनेको शहादत दिए हैं। वहीं आजादी की रक्षा करने में भी मेरठ में अनगिनत वीर हुए हैं। इनमें मेजर रणवीर सिंह, आशाराम त्यागी जैसे वीर हुए हैं, जिनमें एक प्रमुख नाम कारगिल शहीद मेजर मनोज तलवार सिंह का भी रहा है। जो मातृभूमि की रक्षा करते हुए शहीद हो गए।

स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र थे मनोज

डिफेंस कॉलोनी में रहने वाले मनोज तलवार एक स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र थे। इसलिए बचपन से ही मनोज के मन में देश प्रेम की भावना थी। मनोज का जन्म 29 अगस्त 1969 में हुआ था। उनके पिता कैप्टन पीएन तलवार और मां ऊषा तलवार थे।

बचपन से ही देश के प्रति रहा प्रेम

प्रमुख इतिहासकार व लेखक धर्म दिवाकर ने बताया कि जब मनोज दस साल का ही था तो उसके पिता की पोस्टिंग कानपुर में थी। उस समय वहां पास ही खाली प्लाट और फेंसिंग थी, दोनों ओर की फेंसिंग को पार कर छोटा बालक आर्मी के जवानों से हलो बोलकर आता था.बचपन से ही पिता की ड्रेस पहनकर अपने दोस्तों के साथ जवानों की तरह लड़ाई करने के सीन क्रिएट किया करता था। धर्म दिवाकर ने बताया कि मनोज तलवार को जवानों को देखने में बेहद मजा आता था। वह जब भी जवानों को देखता था तो केवल यही कहता था मैं बड़ा होकर आर्मी ज्वाइन करूंगा।

मातृभूमि ही सब कुछ

हर माता पिता की ख्वाहिश होती है कि उनके बेटे की भी सेहरा बंधे। उनके आंगन में भी एक दुल्हन आए। तलवार दंपति की भी यही इच्छा थी। जब मां ने बेटे मनोज की शादी की योजना बनाई, तो मनोज ने कहा मां! मेरा समर्पण तो देश के साथ जुड़ चुका है। मैं उसकी हिफाजत पर कुर्बान होने के लिए हर पल तैयार रहता हूं। अभी तो मैं उसकी हिफाजत के लिए वचनबद्ध हूं। क्योंकि मैं एक वीर सेनानी माता-पिता का वीर पुत्र हूं। उनकी बाते सुनकर मां ऊषा को अपने लाडले पर गर्व महसूस हुआ।

देश की रक्षा ही परम धर्म

कश्मीर की ऊंची चोटियां, जो सदा बर्फ से ढकी रहती हैं, ठंडी हवाएं हर पल सेना के जवानों के हौसलों का इंतहा लेती है। कारगिल में मेजर मनोज तैनात थे। क्फ् जून क्999 को जब देश के दुश्मनों ने अपने नापाक इरादों से सेना पर हमला किया, तो मनोज तलवार अपने साथियों के साथ शत्रुओं को करारा जवाब दे रहे थे। मेजर मनोज उस युद्ध में अपना बलिदान देकर शत्रुओं से आजादी की रक्षा की। वीर सेनानी तलवार ने अपने सीने गोली खाई और अपना नाम इतिहास में अंकित किया। पितृपक्ष में हम इस महान शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

तो ऐसे याद जाता है शहीदों को

देश के लिए अपना जीवन न्योछावर करने वालों को शहर में जिस तरह से याद किया जाता है, यह चिंता की बात है। शहर में बनाई गई अमर शहीद मेजर मनोज तलवार की प्रतिमा को देखकर ही इसका अहसास होता है। आखिर हम उनकी यादों को कितना पीछे छोड़ चुके हैं। इस प्रतिमा को देखकर तो लगता है जैसे कई सालों से इसपर न कोई रंगाई हुई है, न ही इसे ठीक किया गया है।