- मेजर मोहित शर्मा को याद कर नम हो जाती हैं आंखें

- अशोक चक्र से सम्मानित हुआ था मेरठ का वीर सपूत

Meerut : मेरठ जनपद के रासना गांव के अनेकों वीरों का देश की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ग्राम रासना स्वतंत्रता आंदोलन का गढ़ कहा जाता है। जब भगत सिंह को फांसी दी गई तो वहां के युवा बड़े गर्व से यह गीत गाया करते थे कि मत रो लाल तेरे बहुतेरे हैं। उसी गांव के वीर सपूत मेजर मोहित शर्मा की वीरता की कहानी वर्तमान में भी बड़े गर्व से सुनाई जाती है।

देशप्रेमी थे मोहित

मोहित शर्मा का जन्म क्फ् जनवरी क्978 में ही एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता राजेंद्र प्रसाद शर्मा पीएनबी बैंक से रिटायर्ड मैनेजर थे। मां सुशीला शर्मा भी एक गवर्नमेंट ऑफिस से ही रिटायर्ड थी। मोहित बचपन से ही आजादी के गीतों को गुनगुनाया करते थे। बचपन से ही मोहित का सपना देश सेवा करने की थी।

सर्वश्रेष्ठ अधिकारी

इतिहासकार व प्रमुख लेखक धर्म दिवाकर ने बताया कि मोहित शर्मा एक उत्तम श्रेणी के कमांडो थे। भारतीय सेना की परम्पराओं के अनुसार उनके शरीर को लोहे जैसा मजबूत बनाया गया था। तभी तो एक सर्वश्रेष्ठ अधिकारी के रूप में जहां भी मुश्किल ऑपरेशन हुआ करते थे, वहीं पर मेजर मनोज की तैनाती की जाती थी। मेजर मोहित शर्मा ने जीवन के प्रारम्भिक चरण से ही शौर्य की अनूठी मिसालें पेश की थी। इस स्वतंत्रता सेनानी ने जम्मू-कश्मीर में घुसपैठियों के नापाक इरादों को निष्फल कर उनको धराशायी किया था।

राष्ट्र हित के लिए हो गया शहीद

रिटायर्ड डीआईजी एसके शर्मा ने बताया कि मेजर मोहित शर्मा की वीरता के उदाहरणों को प्रस्तुत करते हुए गर्व की अनुभूति होती है। क्म् मार्च ख्00ब् में जब मेजर को यह खबर मिली कि जम्मू कश्मीर के शोपियां में सशस्त्र उग्रवादी प्रवेश कर चुके हैं, तो मेजर ने बिना देर किए अपनी सैन्य टुकड़ी लेकर वहां घेराबंदी कर ली थी। यहां मोहित ने कुशल योजना बनाकर उग्रवादियों पर हमला किया और सतर्कता से सामना करते हुए शत्रुओं को मार गिराया था। यह मेजर मोहित के नेतृत्व, पराक्रम व कुशल रणनीति का ही परिचायक था.उनकी वीरता के लिए उन्हें क्9 जनवरी ख्00ब् में सेना मेडल से अलंकृत किया गया था। केवल यही नहीं बल्कि उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के बर्फीले इलाके में में ऑपरेशन ब्रेबो असाल्ट टीम का नेतृत्व कर रहे थे। ख्क् मार्च ख्009 को घने जंगलों में आंतकवादियों की उपस्थिति की सूचना मिलते ही, मेजर ने वहां घेराबंदी की थी। वहां दोनों तरफ की तेज गोलाबारी में उनकी टीम के चार कमांडो घायल हो गए थे, लेकिन मेजर शर्मा रेंगते हुए आगे बड़े और अपने दो सैनिकों को सुरक्षित बचा लिया था। गंभीर घाव के बावजूद भी अपनी बहादुरी से मेजर ने दुश्मनों का जवाब देते हुए सीने पर गोली खाकर भी आतंकियों को मार गिराया था। भारतीय सेना का यह वीर ख्क् मार्च ख्009 को सर्वोच्च परम्पराओं के अनुसार मातृभूमि की रक्षा में शहीद हो गया। जिसके लिए ख्म् जनवरी ख्0क्0 में राष्ट्रपति द्वारा अशोक चक्र से नवाजा गया था।

कामंडेशन मेडल से भी हुए थे सम्मानित

मेजर मोहित शर्मा के असाधारण वीरता तथा प्रेरक नेतृत्व का प्रदर्शन करते हुए आतंकवादियों का हर पल डट कर सामना किया था। जम्मू कश्मीर में एक अन्य मुठभेड़ के दौरान मेजर ने अपने साथियों के साथ आतंकवादियों को धराशायी किया। जिसके लिए उन्हें चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के रुप में कामंडेशन मेडल से भी नवाजा गया था।

आंखें नम हो जाती हैं

मेजर मोहित शर्मा के बड़े भाई मधुर व भाभी सुरभि शर्मा का कहना है कि जब भी किसी जवान को देखते हैं, तो उनमें अपने मोहित की छवि दिखाई देती है। टीवी चैनल पर वह जब भी किसी जवान को शहीद की खबर सुनते है, तो बस उनकी पलके गिली हो जाती हैं।

इनसेट

इनका तर्पण हमारी भी जिम्मेदारी

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