क्कन्ञ्जहृन्: कुछ वर्षों में राजनीति के क्षेत्र में कटुता बढ़ी है। जिसे कम करने की जरूरत है। सभी पार्टियों के नेताओं को शांतिपूर्ण तरीके से भाईचारे का माहौल बनाने के लिए संवाद बढ़ाना होगा। राजनीतिक दल संवाद और विश्वास का माहौल कायम करें। आज संपूर्ण क्रांति की बात गुम हो गई है। इसे आगे बढ़ाया जाएगा। गांव-गांव भ्रमण कर इस आंदोलन से जुड़े लोगों को एकजुट करेंगे। छात्रों का साथ लेंगे। यह बात रविवार को मीडिया से बात करते हुए केएन गोविंदाचार्य ने कहीं। वे एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट सभागार में 'बाकी है अभी संपूर्ण क्रांति' विषय पर आयोजित परिचर्चा में बतौर चीफ गेस्ट बोल रहे थे।

जाति विहीन बने समाज

गोविंदाचार्य ने कहा कि संपूर्ण क्रांति का मुख्य मकसद राजनीतिक और सामाजिक सुधार करना था। जाति विहीन और भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनना चाहिए था, लेकिन ये समस्याएं और बढ़ती जा रही हैं। संपूर्ण क्रांति अभी अधूरी है। महंगाई, भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जयप्रकाश नारायण ने पांच जून 1974 को संपूर्ण क्रांति का आह्ववान किया था। तत्कालीन सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान, पूर्व मंत्री नवल किशोर शाही, प्रो। रामजी सिंह, प्रो.रामाकांत पांडेय, डॉ। सिंधु कुमारी, हरेंद्र प्रताप आदि ने भी परिचर्चा में विचार रखे।