-फायर सर्विस की एनओसी के बिना दौड़ रहा कारोबार

-बिल्डिंग के स्ट्रक्चर में यूज नहीं भूकंपरोधी तकनीकी

Meerut: शहर में अवैध रूप से संचालित हो रहे शॉपिंग मॉल्स शहरवासियों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इन मॉल्स संचालकों के पास दमकल विभाग और भूकंपरोधी इमारत की एनओसी नहीं है। यही कारण है कि एमडीए की ओर से इनको कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया है। धनबल और अपने रसूख के आधार पर अपना बिजनेस दौड़ा रहे ये मॉल संचालक आधे-अधूरे सुरक्षा इंतजामों के साथ शहरवासियों के जीवन से खेल रहे हैं।

एनओसी में खेल

शहर स्थित दो शॉपिंग मॉल्स को यदि छोड़ दिया जाए तो किसी भी मॉल संचालक के पास मॉल चलाने की अनुमति नहीं है। मसलन न तो किसी के पास संबंधित विभागों की एनओसी है और न ही मानकों का अनुपालन किया गया है। दरअसल, किसी शॉपिंग मॉल के संचालन के लिए दमकल विभाग, नगर निगम व स्वास्थ विभाग से एनओसी लेनी पड़ती है। इन्हीं एनओसी के आधार पर बिल्डर एमडीए में कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करता है। इन एनओसी का सत्यापन कर एमडीए अपनी शर्तो के आधार पर कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी करता है।

ये है एनओसी --

-फायर सर्विस को लेकर दमकल विभाग की एनओसी

-सीवेज ट्रीटमेंट आदि को लेकर नगर निगम की एनओसी

-मॉल में खाने पीने के चीजों को लेकर स्वास्थ विभाग की एनओसी

-शॉपिंग मॉल से रोजाना निकलने वाले कचरे को डिस्पोज ऑफ करने के संसाधन

बिल्डिंग लॉ

नगर नियोजन अधिनियम के अंतर्गत शॉपिंग मॉल्स या फिर पब्लिक गेदरिंग वाली बिल्डिंगों में भूकंपरोधी तकनीकी का होना अतिआवश्यक है और वो भी तब जबकि मेरठ भूंकप के जोन फोर में है। इसी के साथ बिल्डिंग के स्ट्रक्चरल डिजाइन के आधार पर पिलर्स से लेकर दीवारों की मोटाई तक का विशेष ध्यान रखा जाता है। कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी करने से पूर्व एमडीए के अफसर मौके पर जाकर बिल्डिंग का निरीक्षण करते हैं यदि बिल्डिंग सभी मानकों पर खरा उतरती है, कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है।

बिल्डरों का फरेब

असल में संबंधित विभागों की एनओसी न होने और अधूरे बिल्डिंग के मानकों के चलते इन शॉपिंग मॉल्स को कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिल पाता। इसके विपरीत ये मॉल्स संचालक एमडीए अफसरों से सांठगांठ कर बिना अनुमति के ही अपना कारोबार शुरू कर देते हैं। इस तरह से एमडीए अफसरों और बिल्डरों की सांठगांठ से अवैध मॉल्स का यह गोरखधंधा खूब फलता फूलता रहता है।

जीवन से खिलवाड़

मानकों के विपरीत मॉल्स का संचालन कर रहे ये घाघ बिल्डर अपने बिजनेस के फायदे के चलते शहरवासियों का जीवन दांव पर लगा देते हैं। इन मॉल्स में न तो फायर सर्विस के पुख्ता इंतजाम होते हैं और न ही मानकों के मुताबिक सैटबैक। कहीं तो ऐसा भी देखने में आया है कि मॉल्स स्थित सैटबैक को बिल्डरों ने निजी यूज या फिर पार्किंग आदि में इस्तेमाल कर लिया है। जबकि नियमानुसार सैटबैक का अतिक्रमण दण्डनीय अपराध है। दरअसल, किसी भी बिल्डिंग में सैटबैक को फायर सर्विस के इंतजाम के लिए खुला छोड़ा जाता है। बिल्डिंग में आग आदि की घटना होने पर दमकल की गाड़ी इन्हीं सैटबैक से होती हुए पूरी बिल्डिंग को कवर करती है।

अग्निशमन संबंधि मानकों को लेकर शॉपिंग मॉल्स में चेकिंग अभियान चलाया जाएगा। पब्लिक पैलेस में अग्निशमन के इंतजाम होना बेहद जरूरी है। पुख्ता इंतजाम न मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

एसके सोनी, अधीक्षक फायर सर्विस