JAMSHEDPUR: दिल दहला देने वाले इस मामले में पुलिस ने निशांत वैभव के उस कमरे से सुसाइड नोट बरामद किया जिस कमरे में उसका शव पंखे से ओढ़नी के सहारे फंदे से लटकता मिला। मंगलवार को निशांत वैभव की शादी की 12 वी सालगिरह थी।

 

टाटा स्टील व कलिंगनगर में फर्म

सुसाइड नोट में निशांत वैभव ने ठेकेदारी में उतार-चढ़ाव और रुपये को लेकर हो रही परेशानी के कारण ऐसा कदम उठाने का जिक्र किया है साथ ही कई दोस्तों के नाम यह लिखा कि कंपनी की मशीन और जो भी सामान है उसे बेचकर जितने भी रुपये मिले, उसे माता-पिता को दे दें। निशांत की टाटा स्टील और ओडिशा के कलिंगनगर में तारानंद इंजीनिय¨रग सर्विसेस नाम से फर्म है। आदित्यपुर इएसआई हॉस्पिटल में कैंटीन भी निशांत चलाते थे। निशांत के पिता एनके सिंह टाटा स्टील से सेवानिवृत्त इंजीनियर है। उनका फ्लैट निशांत वैभव के फ्लैट के ठीक सामने 2122 है। फ्लैट में वे अपनी पत्‌नी तारामनी के साथ रहते हैं। निशांत के भाई किसलय एयर फोर्स से सेवानिवृत्त है। वे परिवार के साथ विजया गार्डेन में ही दूसरे फ्लैट में ही रहते हैं। निशांत वैभव का परिवार मूलरूप से बिहार के विक्रमगंज का रहनेवाला है। निशांत की शादी बारीडीह शांतिनगर में हुई थी।

 

जमा हो गई भीड़

मंगलवार सुबह सात बजे के करीब निशांत वैभव की मां तारामनी देवी ने पुत्र की फ्लैट के प्रवेश द्वार को खुलवाने को दस्तक दी कारण पोता अक्षत वैभव की मंगलवार से परीक्षा शुरू थी। देखा कि अब तक कोई बाहर नहीं निकला। दस्तक देने के बावजूद अंदर से कोई जवाब नही आया। दरवाजे को धकेला तो दरवाजा खुल गया जिसे सोफा से अंदर से अटका कर रखा गया था। निशांत वैभव की कमरे की ओर जाने पर वहां का नजारा देखकर दंग रह गई। बेटे को फंदे से लटका देखा। दूसरे कमरे में देखा कि पलंग पर बहू पूर्णिमा और पोता अक्षत वैभव का शव पड़ा हुआ है। मां चिल्लाई तो आस-पास के लोग दौड़कर उस ओर गए। थाना को सूचना दी गई। जानकारी पर ठेकेदार के रिश्तेदार, सहयोगी, शुभचिंतक और विजया गार्डेन के लोगों की भीड़ एकत्र हो गई। दोपहर एक बजे के बाद पुलिस ने सभी का शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया।

 

प्रथम दृष्टया मामला सुसाइड का ही है जैसा कि सुसाइड नोट में लिखा पाया गया है। घटना ठेकेदारी में उतार-चढ़ाव और आर्थिक परेशानी भी बता रही है। सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है।

-अनुदीप सिंह, सिटी डीएसपी, जमशेदपुर

 

सुसाइड नोट में लिखा

मैं एक जिंदा लाश बन गया था

निशांत वैभव ने मम्मी और पापा को संबोधित करते हुए सुसाइड नोट में लिखा कि मुझे माफ कर देना। मैं अंदर से बहुत टूट चुका था। मेरी हालत के चलते आपको, अक्की और मुन्नी सबको बहुत तकलीफ और बातें सुननी पड़ रही थी। मैं एक जिंदा लाश बन गया था। किसी भी चीज में में मन नहीं लग रहा था। एक-एक दिन काटना मुश्किल हो गया था। मेरी कंपनी के कोई मेरे पीछे भी कर्मचारी आएं तो उन्हें कहिएगा कि प्रमिल बिल क्लीयर करवाएगा उससे बात कर ले। प्रमोद 60 फीसद पेटी में था। आज तक उसका जो पैस बकाया हे वो केपीओ के लि से क्लीयर हो जाएगा। आगे जो भी बिल क्लीयर टीएसएल जमशेदपुर का क्लीयर करवाएगा। इसमें 60 फीसद को रखेगा। बाकी 40 फीसद एमाउंट क्लीयिर कर देगा। मैंने चेकबुक में साइन कर दिया है। वहीं परिवार वालों की माने तो अम्मी और मुन्नी कौन है वे नही जानते।

 

भाई को लिखा कोई गलती हुआ होगा तो माफ कर देना

निशांत वैभव ने अपने बड़े भाई निलय किसलय को संबोधित सुसाइड नोट में लिखा कि भैया प्रणाम, अब तुम्हारे उपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। ऐसे मां-बाप बहुत किस्मत से मिलते है। इनका ख्याल रखना। अगर कोई गलती हुई तो श्रमा करना।

 

मैं अपनी मौत की जिम्मेदारी लेता हूं

निशांत वैभव ने एक सुसाइड नोट मे लिखा कि मैं अपनी मौत की जिम्मेदारी लेता हूं। मैं किसी के कहने पर या किसी के दबाव में आकर यह कदम नहीं उठा रहा हूं। मेरा परिवार का कोई भी सदस्य इसके लिए जिम्मेदार नही है। जहां तक मेरी कंपनी की बात है इसका पूरा मालिकाना हक मेरा है। अब तक कंपनी में जो हुआ उसकी पूरी जिम्मेदारी मेरी थी। कंपनी में जो मुनाफा, जो घाटा और जो कर्जा जो कुछ है मेरा है। मेरे जाने के बाद मेरे परिवार में किसी के भी परेशान नही किया जाए। कंपनी में जो हुआ वो पूरी तरह मेरी जिम्मेदारी हे। मेरी कंपनी के किसी भी विषय पर सारा फैसला मेरा है। परिवार को मेरे कंपनी के किसी भी मैटर से कोई कनेक्शन नही है।

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