-मानगो पुल के जाम होने की वजह से स्कूल से लौट रहे बच्चे घर जाने को परेशान दिख रहे थे

-कोई कंधे पर बच्चे को लेकर जा रहे थे तो कोई बच्चों को साथ लेकर पुल पैदल पार कर रहे थे

-किसी के मोबाइल की बैटरी खत्म हो गई थी तो कोई प्यासा था, पर पानी नहीं मिला

JAMSHEDPUR : पहली क्लास की स्टूडेंट अदिति स्कूल से लौट रही थी, उसे घर हुंचना था। वह परेशान थी। उसे क्:ब्भ् बजे घर पहुंचना था, लेकिन बज चुके थे तीन। उसे प्यास लगी थी और भूख भी। गांधी घाट में वह कुछ और स्कूल स्टूडेंट्स के साथ खड़ी थी। उसे पता नहीं था कि वैन वाले अंकल उसे क्यों नहीं ले जा रहे। उसने कारण जानना चाहा तो बताया गया कि जाम है। घर नहीं जा सकते। मानगो पुल और उसके आस-पास हजारों गाडि़यां लगी थीं। एक इंच भी आगे या अगल-बगल जाने की जगह नहीं। जिन्हें जाम का पता नहीं था वे उस भीड़ में बढ़ते गए और खुद को कुछ घंटों के लिए जाम में धकेलते चले गए। ऐसा ही नजारा था मानगो पुल का। जाम के कई कारण होते हैं, कारण गुरुवार को भी था, महिलाएं बच्चे को गोद लिए पैदल चली जा रही थी, पिता कंधे पर लाडले को लिए धूप में पुल पार कर रहे थे।

सबकी जुबान पर मानगो पुल का नाम

किसी को डॉक्टर के पास जाना था तो कोई स्कूल से बच्चे को लेकर लौट रहा था। कोई लंच के लिए घर लौट रहा था तो किसी को कॉलेज जाना था। घर वालों को चिंता हो रही थी। बार-बार कॉल आ रहा था, कहां हैं और कितनी देर में पहुंच रहे हैं, यही पूछा जा रहा था। कई लोगों के मोबाइल की बैटरी डाउन हो गई थी। सभी मोबाइल पर मानगो पुल और गांधी घाट के पास जाम में फंसे होने की बात कह रहे थे।

वैन वाले अंकल ने बताया कि वे मुझे घर नहीं ले जा सकते, जाम लगा है। मुझे भूख लगी है, पीने को पानी भी नहीं है।

- अदिति, स्टूडेंट

मुझे अभी तक पता नहीं चला कि जाम क्यों लगा है। बाहर धूप थी तो हम गांधी घाट के अंदर आ गए।

- श्रुति, स्टूडेंट

लगभग ख् घंटे से हम यहीं खड़े हैं। बहुत प्यास लगी है। पता नहीं कितनी देर में घर पहुंच पाउंगी।

- विंशिखा, स्टूडेंट

वैन वाले अंकल के पास मम्मी-पापा का कई बार कॉल आ चुका है। वे परेशान हैं, हम घर नहीं जा पा रहे।

- कृति, स्टूडेंट

मेरी कुछ फ्रेंड्स के पैरेंट्स आए थे तो वे अपने साथ उन्हें पैदल ही घर ले गए। काफी देर से हम यहां खड़े हैं।

- रिशिका, स्टूडेंट